कब लग रहा है साल का दूसरा सूर्य ग्रहण, नोट करें इसका समय, कंकणाकृती होगा ये ग्रहण

अब 14 अक्टूबर 2023 को साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है. यह ग्रहण आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर लग रहा है, जो कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा.

कब लग रहा है साल का दूसरा सूर्य ग्रहण, नोट करें इसका समय, कंकणाकृती होगा ये ग्रहण

वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण एक खगोलीय घटना है, परंतु इसका ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व बताया गया है. साल का पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल 2023 को लगा था. अब साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर 2023 को लगने वाला है. यह ग्रहण कंकणाकृती सूर्य ग्रहण होगा. जो अश्विन माह की अमावस्या तिथि पर लगेगा. साल 2023 में चार ग्रहण लग रहे हैं जिनमें से दो ग्रहण सूर्य और चंद्र ग्रहण लग चुके हैं. अब अपना सूर्य ग्रहण का समय क्या होगा. इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए. इस विषय में बता रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

किस दिन पड़ रहा दूसरा सूर्य ग्रहण

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को रात में 8:34 से शुरू होगा. इसका समापन मध्य रात्रि 2:25 पर होगा. अश्विन मास की अमावस्या तिथि को लगने वाला सूर्य ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लग रहा है.

कहां-कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण

साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, कनाडा, ग्वाटेमाला, अर्जेंटीना, कोलंबिया, मैक्सिको, क्यूबा, बारबाडोस, एंटीगुआ, ब्राजील, पराग्वे, जमैका, हैती, पेरू, उरुग्वे, इक्वाडोर, वेनेजुएला, अमेरिका, चिली, डोमिनिका, बहामास, निकारागुआ आदि जगहों पर दिखाई देगा.

कंकणाकृती सूर्यग्रहण वह कहलाता है, जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी इतनी होती है कि चंद्रमा सूर्य के एकदम बीचो-बीच आ जाता है. ऐसी स्थिति में सूर्य के चारों तरफ एक रिंग नुमा आकृति बन जाती है. इस ग्रहण को वलयाकार सूर्यग्रहण भी कहा जाता है.

ग्रहण में ना करें ये काम

वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहण को भूलकर भी खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए.
ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल में देवी देवता की मूर्ति को नहीं छूना चाहिए.
ग्रहण के दौरान भोजन पानी ग्रहण नहीं करना चाहिए.
ग्रहण के दौरान नाखून और बाल काटने से बचना चाहिए.
ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को धारदार वस्तु का उपयोग नहीं करना चाहिए.
ग्रहण काल में अधिक से अधिक मंत्र और भजन का जाप करना चाहिए.