बिना दवा के कंट्रोल होगा हाई बीपी, हृदय रोग में मिलेगा आराम, इस योगासन का लोहा विज्ञान ने भी माना
योगाचार्य शिक्षा नागर ने बताया कि यह पहला प्रयोग था जिसमें यह पाया गया कि योग के जरिए कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को नियंत्रित किया जा सकता है. हृदय रोगियों के लिए शवासन पहले एक नट विद्या मानी जाती थी, पर रिसर्च के बाद...

भारतीय योग पद्धति कोई 100 या 200 साल पुरानी नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी है. ये और बात है कि आज के आधुनिक युग में लोग अंग्रेजी दवा पर ज्यादा निर्भर हैं. लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे योगासन के बारे में बताते हैं, जिसका लोहा मेडिकल साइंस ने भी माना है. यह योगासन हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में काफी कारगर साबित हुआ है.
1935 में फ्रांस की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ब्रोसी ने हृदय पर योग के प्रभाव का अध्ययन किया था. योगाचार्य शिक्षा नागर ने बताया कि यह पहला प्रयोग था, जिसमें यह पाया गया कि योग के जरिए कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को नियंत्रित किया जा सकता है. हृदय रोगियों के लिए ‘शवासन’ पहले एक नट विद्या मानी जाती थी. कुछ समय बाद दिव्य योगियों ने हृदय गति को स्वेच्छा से कम करके दिखाया. तब पश्चिम के डॉक्टरों को इसके बारे में जिज्ञासा हुई.
मेडिकल साइंस ने दी मान्यता
योगाचार्य ने आगे बताया कि दूसरी रिसर्च जो 1960 में एक साइंस सर्कुलेशन में छपी थी. उसमें यह पाया गया कि योग का हृदय गति पर अच्छा असर पड़ता है. 1969 में डॉ. केके दाते ने दावा किया कि ‘शवासन’ से उच्च रक्तचाप को बिना दवा के कम किया जा सकता है. इस तथ्य को आगे डॉ. एच क्रिस्टीन एवं डॉ. मार्क डेम्बर्ट ने भी अपनी रिसर्च में सच पाया. हृदय रोगियों के लिए योग में जो आसन मेडिकल साइंस की मान्यता प्राप्त हैं, उनमें से एक है शवासन. यह आसन बहुत सहज, सरल और लाभकारी है.
हृदय रोगियों के लिए भी आसान
योगाचार्य ने बताया कि योग की शुरुआत करने के लिए शवासन बहुत उपयुक्त है. इसमें शारीरिक प्रयास नहीं के बराबर है. यह हृदय, फेफड़ों व मांसपेशियों पर कोई तनाव नहीं डालता है. कमजोर हृदय रोगी या डेमेज कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम वाले भी बिना किसी परेशानी के इसे कर सकते हैं. यह आसन गंभीर हृदय रोगियों में आशा का संचार करता है. अन्य रिसर्च के अनुसार यह आसन बुजुर्ग हृदय रोगियों पर भी प्रभावी है. शवासन एक आसन ही नहीं, बल्कि माइंड-बॉडी अभ्यास है. अगर उसको ढंग से सिखाएं तो अहसास कराता है कि कैसे मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है.
शवासन कैसे करें
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आपको पीठ के बल सीधा लेटना है. फिर आप सीधे लेटकर अपने कंधों, पीठ और पैरों को ढीला छोड़ दें. अब आंखें बंद कर या उन पर पट्टी लगाकर उन्हें बंद कर दें. हाथों को साइड में रखें और हथेलियां ऊपर की तरफ खुली रखें. फिर ऐसा करने के बाद सारा ध्यान सांसों पर केंद्रित कर दें. सारा ध्यान सांसों के आवागमन पर केंद्रित रखें.
शवासन करने के लाभ
योगाचार्य ने बताया कि इस योगासन से शरीर और मानसिक तनाव में कमी आती है. साथ ही उच्च रक्तचाप को कम करता है और हृदय को आराम देता है. यह आसन शांतिदायक और भय को दूर करने वाला है. यह हृदय को हील करने में बहुत सहायक होता है. इसके साथ ही हृदय रोगियों के लिए इसमें विशेष इमेजरी भी कराई जाती है, जो हृदय को स्वस्थ करती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Suntimes किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.