महाशिवरात्रि पर जय-जय महादेव की गूंज:राजिम के कुलेश्वर महादेव और भूतेश्वर नाथ मंदिर में भक्तों की भीड़

शनिवार 18 फरवरी को पूरे प्रदेश में पूरे भक्ति भाव से महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। इस मौके पर एक दिव्य और दुर्लभ संयोग बना है। 18 फरवरी को शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे।

महाशिवरात्रि पर जय-जय महादेव की गूंज:राजिम के कुलेश्वर महादेव और भूतेश्वर नाथ मंदिर में भक्तों की भीड़

कबीरधाम. कबीरधाम जिले के ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर शनिवार को विशेष आरती की गई। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर दिनभर खुला रहेगा। शाम को भस्म आरती भी की जाएगी। शनिवार 18 फरवरी को पूरे प्रदेश में पूरे भक्ति भाव से महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। इस मौके पर एक दिव्य और दुर्लभ संयोग बना है। 18 फरवरी को शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे।

कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा के मिलने से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत का भी शुभ संयोग बन रहा है। महाशिवरात्रि में कवर्धा के भोरमदेव में भीड़ को देखते हुए सुरक्षा की तैयारी की गई है। भोरमदेव सनातन तीर्थ ट्रस्ट की ओर से श्रद्धालुओं को मंदिर में दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल एवं कबीरधाम जिले के ऐतिहासिक, पुरातत्व, पर्यटन, जन आस्था के केन्द्र भोरमदेव में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष महाशिवरात्रि पर्व में मेले का भव्य आयोजन किया गया है।

कलेक्टर जन्मेजय महोबे और एसपी डॉ. लाल उमेद सिंह ने शुक्रवार को भोरमदेव मेला स्थल का निरीक्षण भी किया था। मंदिर परिसर में प्रकाश और बिजली के पुख्ता इंतजाम करने बिजली कंपनी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को निर्देश दिए गए हैं। मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए बैरिकेडिंग करने पीडब्ल्यूडी और ट्रैफिक, वहीं पार्किंग व्यवस्था के लिए पुलिस ने कमान संभाली हुई है।

गर्भगृह के अंदर नारियल और प्रसाद ले जाने की मनाही

भोरमदेव मंदिर परिसर में स्वास्थ्य विभाग का निःशुल्क विशेष शिविर लगाया जाएगा। मंदिर के पूर्व द्वार से पुरुषों के लिए और उत्तर के प्रवेश द्वार से महिलाओं व बच्चों के लिए एंट्री की व्यवस्था की गई है। दक्षिण द्वार से सभी श्रद्धालुओं को बाहर निकलने के व्यवस्था की गई है। भोरमदेव परिसर में प्लास्टिक पर बैन है। मंदिर के गर्भगृह में नारियल और प्रसाद ले जाना मना है।

छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहलाता है भोरमदेव

भोरमदेव छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में कवर्धा से 18 किमी दूर है। चौरागांव में स्थित भोरमदेव मंदिर एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर लगभग 7 से 11वीं शताब्दी की अवधि में बनाया गया था। यहां मंदिर में खजुराहो मंदिर की झलक दिखाई देती है, इसलिए इस मंदिर को “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” भी कहा जाता है। मंदिर का मुख पूर्व की ओर है। मंदिर नागर शैली का एक सुन्दर उदाहरण है।

मंदिर में तीन ओर से प्रवेश किया जा सकता है। मंदिर 5 फुट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। तीनों प्रवेश द्वारों से सीधे मंदिर के मंडप में प्रवेश किया जा सकता है। मंडप की लंबाई 60 फुट है और चौड़ाई 40 फुट है। मंडप के बीच में 4 खंभे हैं और किनारे की ओर 12 खंभे हैं, जिन्होंने मंडप की छत को संभाल रखा है। सभी खंभे बहुत ही सुंदर और कलात्मक हैं। हर खंभे पर कीचन बना हुआ है, जो कि छत का भार संभाले हुए है।

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित ज्वालेश्वर महादेव जो स्वयंभू शिवलिंग है, यहां भी महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तों की भीड़ लगी हुई है। लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि सतयुग से यह मंदिर यहां स्थापित है।