छत्तीसगढ़ में 297 स्कूल में टीचर नहीं.....शासन ने कहा- वैकल्पिक व्यवस्था से पढ़ाई, हाईकोर्ट बोला- ऐसे में कैसे चलेगा काम....

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव सहित नक्सल प्रभावित 297 स्कूलों में शिक्षकों के बिना पढ़ाई चल रही है। इस पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है ऐसे में बच्चों के भविष्य का क्या होगा। हालांकि, शासन की तरफ से बताया गया कि इन स्कूलों में अल्टरनेटिव टीचर की व्यवस्था की गई है। डिवीजन बेंच ने टीचर की भर्ती को लेकर एजुकेशन सेक्रेट्री को पांच अक्टूबर तक शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
दरअसल, राजनादगांव में शिक्षकों की मांग करने वाली स्कूली छात्राओं को धमकाते हुए जेल भेजने की धमकी दे दी थी। मीडिया में आई इस खबर को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है। मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में 297 स्कूल शिक्षकविहीन हैं, जहां वैक्लिपक व्यवस्था की गई है। शासन का जवाब सुनकर हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था का ये हाल है तो कैसे काम चलेगा। डिवीजन बेंच ने इस मामले में शिक्षा विभाग के सचिव को शपथपत्र के साथ यह बताने के लिए कहा है कि प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्ती कब तक होगी। इसके लिए चल रही प्रकिया की जानकारी भी मंगाई है। प्रकरण की अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को होगी।
चीफ जस्टिस सिन्हा ने ने पूर्व में शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में नियुक्ति की जानकारी मांगी थी। जिस पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से वर्तमान में की गई व्यवस्था की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में 297 स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षक नहीं है। इनमें से 60 स्कूलों में स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। जिसमें आसपास पोस्टेड टीचर इन शिक्षकविहीन स्कूलों में पढ़ाते हैं। जहां कलेक्टर और स्थानीय प्रशासन ने जानभागीदारी समिति के जरिए अस्थाई टीचर की व्यवस्था भी की है। वहीं, दूरस्थ और नक्सल प्रभावित स्कूलों में शिक्षा दूत नियुक्त किए गए हैं। इस तरह की वैकल्पिक व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है।
मंगलवार को बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र के हाईस्कूल में छात्राओं की बीयर पार्टी के मामले में भी सुनवाई हुई। इस दौरान डिवीजन बेंच ने इसे सेंसेटिव मामला बता कर लाइव स्ट्रीमिंग बंद कर सुनवाई की। दरअसल, मामला सामने आने के बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने जांच रिपोर्ट मंगाई थी, जिसमें इस अव्यवस्था के लिए प्राचार्य को जिम्मेदार माना गया है। लिहाजा, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ की छात्राएं स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर नियुक्ति की मांग को लेकर जिला शिक्षाधिकारी से मुलाकात करने गई थीं। छात्राओं का कहना था कि बिना शिक्षक के उन्होंने 11वीं पास कर ली है, लेकिन 12वीं की परीक्षा कैसे पास कर पाएंगी। छात्राओं की इस जायज मांग पर जिला शिक्षाधिकारी ने छात्राओं से दुर्व्यवहार करते हुए कहा कि, जिंदगी भर जेल में रहोगे तो समझ में आएगा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने घटना की गंभीरता को देखते हुए अफसरों के रवैए को लेकर नाराजगी जताई थी।