शराब दुकान पर बैठकर नहीं पी सकेंगे शराब, स्कूल-कॉलेज, धार्मिक स्थल से 100 मीटर दायरे में नहीं चलेंगी दुकानें
प्रदेश में अब शराब दुकानों पर बैठकर शराब नहीं पी सकेंगे। यानी दुकानों से शराब की बिक्री तो होगी, लेकिन वहां बैठकर पीने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, प्रदेश में सभी अहाते भी बंद किए जाएंगे।

भोपाल (ए)। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के शराब के खिलाफ अभियान के प्रेशर का असर दिखा है। प्रदेश में अब शराब दुकानों पर बैठकर शराब नहीं पी सकेंगे। यानी दुकानों से शराब की बिक्री तो होगी, लेकिन वहां बैठकर पीने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, प्रदेश में सभी अहाते भी बंद किए जाएंगे।
ये निर्णय रविवार को हुई शिवराज कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक में नई शराब नीति पर भी चर्चा की गई। बैठक में तय किया गया कि अब धार्मिक और शैक्षणिक संस्थाओं, गर्ल्स स्कूल, गर्ल्स कॉलेज, हॉस्टल से शराब दुकान की दूरी 100 मीटर करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया है। पहले यह दूरी 50 मीटर थी।
बैठक के बाद गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि साल 2010 से प्रदेश में आज तक नई शराब दुकान नहीं खोली गई, बल्कि शराब दुकानें बंद ही की गई हैं।
नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान 64 दुकानें बंद की गई थीं। प्रदेश में अब जितने भी अहाते हैं, उन्हें बंद किया जा रहा है। इसी तरह, शॉप बार में शराब पीने की अनुमति थी। शराब दुकानों से केवल शराब की बिक्री होगी, बल्कि बैठकर शराब पीने की अनुमति नहीं होगी। शराब पीकर वाहन चलाने वालों के लाइसेंस भी सस्पेंड होंगे।
पिछले काफी समय से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराब नीति में संशोधन करने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए वे लगातार अपनी ही सरकार का विरोध करती रही हैं। उन्होंने भोपाल में शराब दुकान पर पत्थर फेंका था। कुछ दिन पहले मंदिर तक में डेरा डाल लिया था। यही नहीं, वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र तक लिखकर पीड़ा जाहिर कर चुकी हैं।
दो तरह से मिलता है लाइसेंस
ऑन कैटेगिरी की दुकान- ये अहाता होता है, जिसमें शराब दुकान के साथ यहां बैठकर पीने की भी व्यवस्था रहती है। इसके लिए मंजूरी लेनी पड़ती है।
ऑफ कैटेगिरी की दुकान- ये शॉप बार होती है। यहां से शराब की बिक्री तो होती है, लेकिन पीने की व्यवस्था नहीं होती, लेकिन आबकारी विभाग को दुकान की लाइसेंस फीस का दो प्रतिशत शुल्क चुका कर यहां पीने की व्यवस्था की जा सकती है।
प्राकृतिक आपदाओं में राहत राशि बढ़ाई
कैबिनेट ने प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए राहत राशि बढ़ाने को भी मंजूरी दी है। आरबीसी 6/4 के मापदंड में संशोधन किया गया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के समय में ऊंट के मुंह में जीरा की तरह किसानों को राहत राशि दी जाती थी। हम लगातार आरबीसी 6-4 में संशोधन करके प्राकृतिक आपदा और दूसरी आपदाओं के समय राहत राशि में बढ़ोतरी कर रहे हैं।