सिर्फ 500 रुपए देकर 3.50 एकड़ जमीन हड़प ली, ऐसे ही सैकड़ों केस, सरगुजा में 10 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन
10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन जाम: जशपुर, बलरामपुर, लुंड्रा, भरतपुर-सोनहत, वाड्रफनगर के इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। जशपुर में पदस्थ एक राजस्व अधिकारी ने बताया कि सिर्फ इसी जिले में उरावों और पहाड़ी कोरवाओं की पांच हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पॉवर ऑफ अटॉर्नी के कारण जाम है। पूरे सरगुजा में ये रकबा 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा है।

सरगुजा पावर ऑफ अटार्नी ठगी का जरिया बन गया है। कम पढ़े-लिखे लोगों की जमीनें औने-पौने दामों में हड़पी जा रही हैं। इन ठगों पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो पा रही क्योंकि गड़बड़ी साबित करने में सालों लग रहे हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा ये सरगुजा में हो रहा है। भास्कर ने वहां पहुंचकर पड़ताल की तो चौंकाने वाले केस सामने आ रहे हैं। भास्कर ने ऐसे पीड़ितों से बात की, तो उन्होंने चौंकाने वाले खुलासे किए।
10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन जाम: जशपुर, बलरामपुर, लुंड्रा, भरतपुर-सोनहत, वाड्रफनगर के इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। जशपुर में पदस्थ एक राजस्व अधिकारी ने बताया कि सिर्फ इसी जिले में उरावों और पहाड़ी कोरवाओं की पांच हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पॉवर ऑफ अटॉर्नी के कारण जाम है। पूरे सरगुजा में ये रकबा 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा है।
500 रु. दिए और 3.54 एकड़ की करवा ली रजिस्ट्री
ये लिट्ठू राम हैं। उम्र 84 साल। अपने कपड़े तक खुद नहीं बदल सकते। इनके पास पुरना नगर में खसरा नंबर 175, 479, 533 को मिलाकर 3.54 एकड़ जमीन थी। ये 9 डिसमिल जमीन बेचना चाहते थे ताकि अपनी जरूरतें पूरी कर सकें। इस जमीन को बेचने के नाम पर स्थानीय नेता और पूर्व डीडीसी मेंबर कृपाशंकर भगत ने एप्रोच किया। फिर दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवा कर 3.54 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करवा ली।
लिट्ठू राम की पोती यशोदा बैरागी ने बताया कि वे जब मूल दस्तावेज लेकर उप पंजीयक टेकराम पटेल के पास गई तो उसने दस्तावेज लेकर मदद करने के बजाय ऋण पुस्तिका में जमीन बिक्री का रिकॉर्ड दर्ज कर दिया। इस मामले को लेकर जब पुलिस के पास पहुंची तो टीआई ने कहा कि राजस्व विभाग के प्रतिवेदन के आधार पर ही मामले में कोई कार्रवाई संभव है।
500 रु. दिए और 3.54 एकड़ की करवा ली रजिस्ट्री
ये लिट्ठू राम हैं। उम्र 84 साल। अपने कपड़े तक खुद नहीं बदल सकते। इनके पास पुरना नगर में खसरा नंबर 175, 479, 533 को मिलाकर 3.54 एकड़ जमीन थी। ये 9 डिसमिल जमीन बेचना चाहते थे ताकि अपनी जरूरतें पूरी कर सकें। इस जमीन को बेचने के नाम पर स्थानीय नेता और पूर्व डीडीसी मेंबर कृपाशंकर भगत ने एप्रोच किया। फिर दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवा कर 3.54 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करवा ली।
लिट्ठू राम की पोती यशोदा बैरागी ने बताया कि वे जब मूल दस्तावेज लेकर उप पंजीयक टेकराम पटेल के पास गई तो उसने दस्तावेज लेकर मदद करने के बजाय ऋण पुस्तिका में जमीन बिक्री का रिकॉर्ड दर्ज कर दिया। इस मामले को लेकर जब पुलिस के पास पहुंची तो टीआई ने कहा कि राजस्व विभाग के प्रतिवेदन के आधार पर ही मामले में कोई कार्रवाई संभव है।
कानूनी पेंच में कैसे उलझती है कार्रवाई
पावर ऑफ अटॉर्नी है क्या | पावर ऑफ अटॉर्नी एक कानूनी दस्तावेज है, जो किसी व्यक्ति को उसकी अनुपस्थिति में प्रॉपर्टी, मेडिकल से जुड़े मामलों और पैसे या संपत्ति आदि के प्रबंधन करने का किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को नियुक्त करने की सुविधा देता है। ये लोगों को सहूलियत देने के लिए है।