चैत्र नवरात्रि में कैसे करें घट स्थापना? नोट करें सामग्री, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त, जानें जौ बोने का महत्व
आचार्य पंकज सवारिया ने बताया कि चैत्र नवरात्रि में मां जगतजननी के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है. मान्यता है कि मां की विधि पूर्वक पूजन, हवन करने से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं दूर हो जाती हैं. दुखों से मुक्ति मिलती है.

सनातन धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है. मान्यता के अनुसार, साल भर में 4 नवरात्रि मनाई जाती है, जिनमें 2 गुप्त और 2 प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं. इनमें से एक चैत्र नवरात्रि होती है, जो चैत्र महीने में पड़ती है. इसी नवरात्रि से हिंदू नववर्ष भी शुरू होता है. इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से होगी.
आचार्य पंकज सवारिया ने बताया कि चैत्र नवरात्रि में मां जगतजननी के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है. मान्यता है कि मां की विधि पूर्वक पूजन, हवन करने से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं दूर हो जाती हैं. दुखों से मुक्ति मिलती है. साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है, इसलिए चैत्र नवरात्रि में अपने घर घट स्थापित कर पवित्र मन से मां आदिशक्ति का पूजन अवश्य करें.
घट स्थापना की सामग्री
घट स्थापना के किए आवश्यक सामग्री. सर्वप्रथम हम घटस्थापना की सामग्री एकत्र करें. इसमें पंच पल्लव जिनमें आम का पत्ता, पीपल का पत्ता, बरगद का पत्ता, गूलर का पत्ता, उमर का पत्ता हो. अगर पंच पल्लव न मिले तो आम का पत्ता पर्याप्त है. इसके अलावा, मिट्टी का कलश, मिट्टी के दीये, जवारे के लिए साफ मिट्टी, साफ जवा, मौली, रोली, अक्षत, पुष्प, सिक्का, लाल-सफेद कपड़ा, गंगा जल, पंचामृत, शहद, इत्र, घी, गुड़, धूप, कपूर, नैवेद्य, मिट्टी या पीतल का अखंड ज्योति हेतु दीया, नारियल और रुई की बाती.
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना का मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 5 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. इन 4 घंटों के अंदर ही आपको घटस्थापना करनी होगी.
घटस्थापना कैसे करें
पं. पंकज सवारियां ने बताया कि घटस्थापना के पहले पूजा स्थल को साफ़ कर लें, जिसके बाद बैठकी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें. शुभ मुहूर्त में प्रातः ही घट स्थापित करें, जिसके लिए मिट्टी के कलश के ऊपरी भाग में रोली लपेट दें, कलश के अंदर जल भर के हल्दी, रोली, अक्षत, सिक्का डाल दें. फिर पंच पल्लव रखें, जिसके ऊपर मिट्टी का ही सकोर रख दें. कुछ अन्य उस सकोरे के ऊपर नारियल रख दें. घट के निकट ही नए कपड़े में माता की चौकी बनाएं, जिसके बाद गौर-गणेश की स्थापना करें. घट पूजा शुरू कर मां का स्मरण करें, जौ बोएं, अखंड ज्योति जलाएं, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, पंचामृत से माता को भोग लगाएं और आरती कर मनवांक्षित फल की प्राप्ति के लिए कामना करें.
जौ अवश्य बोएं
नवरात्रि में कलश के सामने मिट्टी के पात्र में जौ बोए जाते हैं. मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में जौ सबसे पहली फसल थी. इसलिए इसे पूर्ण फसल कहा जाता है.