"संघर्ष से मिला न्याय: मजदूर के परिवार को मिला 25 लाख का मुआवजा"

महामाया इंस्ट्रूमेंट फैक्ट्री में हादसे के बाद छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने संभाला मोर्चा, पुलिस लाठीचार्ज के बीच दो दिन चला आंदोलन

"संघर्ष से मिला न्याय: मजदूर के परिवार को मिला 25 लाख का मुआवजा"

रायपुर की एक फैक्ट्री में मजदूर की दर्दनाक मौत के बाद जब कंपनी ने मुआवजे के नाम पर महज 5 लाख रुपये की पेशकश की, तब छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने पीड़ित परिवार के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी। दो दिनों तक चले तेज़ आंदोलन के बाद आखिरकार 25 लाख रुपये मुआवजा राशि दिलवाई गई।

रायपुर। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के सशक्त आंदोलन के बाद मृतक मजदूर हेमंत विश्वकर्मा के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा दिलवाया गया। यह मामला रावाँभाठा स्थित महामाया इंस्ट्रूमेंट प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री का है, जहां वेल्डिंग कार्य के दौरान करेंट लगने से हेमंत की मौके पर ही मौत हो गई।

दुखद पहलू यह रहा कि मृतक की लाश 24 घंटे तक लोहे के गर्डर में फंसी रही। हेमंत की पत्नी का देहांत पहले ही हो चुका था, और अब उसकी तीन साल की मासूम बेटी पूरी तरह अनाथ हो गई। हादसे के बाद फैक्ट्री प्रबंधन ने केवल 5 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की, जिसे क्रान्ति सेना ने अनुचित और अमानवीय करार दिया।

इसके विरोध में छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने फैक्ट्री गेट पर डेरा डाल दिया और शव का अंतिम संस्कार मुआवजा मिलने तक रोकने का निर्णय लिया। आंदोलनकारियों की संख्या लगातार बढ़ती रही, और स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।

अगले दिन रायपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में संगठन के कार्यकर्ता पहुंच गए। आंदोलन ने जोर पकड़ लिया और प्रशासन पर दबाव बना। अंततः प्रबंधन को झुकना पड़ा और मुआवजे की राशि 25 लाख रुपये तक बढ़ानी पड़ी।

इस पूरे आंदोलन का नेतृत्व छत्तीसगढ़िया युवा क्रान्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष शिवेंद्र वर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि "हम किसी गरीब मज़दूर के जीवन को इतनी सस्ती कीमत पर बिकने नहीं देंगे। यह संघर्ष न केवल हेमंत के लिए, बल्कि प्रदेश के हर मज़दूर के सम्मान और अधिकार के लिए था।"