होर्डिंग घोटाले के अफसरों पर मेहरबानी:जिनपर शक उन्हें जांच का जिम्मा, BJP बोली- महापौर ने अब तक FIR क्यों नहीं करवाई, सभी भ्रष्टाचारी साथ

महापौर ने पिछली बार मीडिया को दिए बयान में एजेंसियों की बजाए अधिकारियों की गलती बताई, हालांकि किसी पर कार्रवाई नहीं की। भाजपा के नेता ये भी सवाल उठा रहे हैं कि इस पूरे कांड में अफसरों को फायदा पहुंचाने का काम एजेंसियों ने ही किया। फिर क्यों ऐसी एजेंसियों को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया जा रहा। भाजपा ने इसपर सांठ-गांठ के आरोप लगाए हैं।

होर्डिंग घोटाले के अफसरों पर मेहरबानी:जिनपर शक उन्हें जांच का जिम्मा, BJP बोली- महापौर ने अब तक FIR क्यों नहीं करवाई, सभी भ्रष्टाचारी साथ

नगर निगम में हुए होर्डिंग घोटाले में शामिल अधिकारियों पर मेहरबानी की जा रही है। ये दावा है भाजपा का। भारतीय जनता पार्टी के नेता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि निगम में सिर्फ जांच का नाटक चल रहा है। जिन पर संदेह वही जांच समिति के सदस्य है, महापौर द्वारा घोटाले के स्वीकार करने के बाद अब तक दोषियों पर एफआईआर क्यों नहीं की गई। इन सवालों के जरिए भाजपा निगम के इसे बड़े घोटाले में सब कुछ सेट होने की ओर इशारा कर रही है।

रायपुर नगर निगम के पूर्व सभापति संजय श्रीवास्तव ने 27 करोड़ रुपए के यूनिपोल घोटाले को लेकर कहा कि महापौर एजाज ढेबर समेत भ्रष्टाचार और घोटाले की इस लूट में सभी भागीदार हैं। ईडी की जाँच कार्रवाइयों से डरे-सहमे और बदहवास कांग्रेस के लोग अपनी लूट को खुद सामने लाकर अब जाँच की बात कर रहे हैं। यूनिपोल घोटाले की लूट में कांग्रेस के लोगों और अफसरों, सबकी मिलीभगत है। इतना ही नहीं, जो संदेह के दायरे में हैं, प्रथम दृष्टया जो बातें सामने आ रही है, उन अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर नहीं हुई है।

7 दिन पहले अफसरों को दोषी बता रहे थे खुद महापौर ढेबर
पिछले सप्ताह ही महापौर ने होर्डिंग घोटाला मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस ली थी। उन्होंने कहा था अब तक छानबीन में इससे करीब 50 करोड़ का नुकसान हुआ है। अधिकारी होर्डिंग्स लगाने या उनके टेंडर जारी करने में नियमों का पालन करते तो ये रकम निगम के पास आती। इस राशि का इस्तेमाल गार्डन, मोहल्लों के विकास में होता।

महापौर ने कहा कि निगम के अधिकारियों ने यूनिपोल लगाने मनमानी की और एजेंसियों को फायदा पहुंचाया। काम एजेंसी की अनुशंसा पर दे दिए गए। 51 बोर्ड की परमिशन 4 महीने में दे दी गई। एजेंसी से ज्यादा हमारे अधिकारी कर्मचारी ज्यादा लिप्त दिखते हैं। अपना ही सोना खोटा है तो सुनार को क्या दोष दें। एजेंसी ने काम किया, गलत तो अफसरों ने किया। अधिकारी दोषी हैं, कर्मचारी अधिकारी गोलमोल जवाब दे रहे हैं, एजेंसी को मैं दोषी नहीं मानता, मेरे ही आदमी कागज बना रहे हैं।

एजेंसियों को राहत, मगर क्यों
महापौर ने पिछली बार मीडिया को दिए बयान में एजेंसियों की बजाए अधिकारियों की गलती बताई, हालांकि किसी पर कार्रवाई नहीं की। भाजपा के नेता ये भी सवाल उठा रहे हैं कि इस पूरे कांड में अफसरों को फायदा पहुंचाने का काम एजेंसियों ने ही किया। फिर क्यों ऐसी एजेंसियों को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया जा रहा। भाजपा ने इसपर सांठ-गांठ के आरोप लगाए हैं।

खुद महापौर ने की थी गड़बड़ी उजागर
करीब 20 दिन पहले ये मामला खुद मीडिया के सामने लेकर महापौर एजाज ढेबर आए, उन्होंने जानकारी देते हुए कहा था- नगर निगम के अफसरों ने एड एजेंसियों से मिलकर जहां मन में आया वहां पोल लगवाकर होर्डिंग लगवा दी। महापौर से छुपाकर अफसरों ने 27 करोड़ का घपला किया है। उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी के बगैर अधिकारियों ने होर्डिंग के टेंडर का काम दे दिया। मनमानी ढंग से रेट दिए गए। जिसे मन चाहा टेंडर दिया गया है। 15 बाय 9 की साइज को मनमानी ढंग से 18 बाय 18 किया गया। रेट जो लगने थे नहीं लगे। एमआईसी में रेट फाइनल करने का प्रस्ताव आना चाहिए था, नहीं आया। शहर में बेतरतीब होर्डिंग, युनिपोल लग गए वो होर्डिंग अवैध है।