शिक्षित बेरोजगारों के हक पर अवैध कब्जा, पंडरी में स्वरोजगार की दुकानें बनी मुनाफे का अड्डा, मंदिर के बगल में बिरयानी सेंटर खुलने से आक्रोश
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत मिली दुकानों पर नियमों की धज्जियाँ, किराये पर चल रहे होटल, दुकानें बिक रही हैं खुलेआम, नगर निगम की चुप्पी से प्रशासन पर सवाल

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के नाम पर रायपुर के पंडरी क्षेत्र में आवंटित दुकानों पर अब भ्रष्टाचार और लापरवाही का साया मंडरा रहा है। शिक्षित बेरोजगारों को आत्मनिर्भर बनाने की मंशा पर अवैध कब्जा, निर्माण और मीट-मटन की दुकानें पानी फेर रही हैं। श्याम प्लाजा के सामने बने इन दुकानों में नियमों को ताक पर रखकर व्यावसायिक धंधे चल रहे हैं, और नगर निगम मूकदर्शक बना हुआ है।
रायपुर। राज्य सरकार की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, जिसका उद्देश्य शिक्षित बेरोजगारों को स्व-रोजगार के अवसर देना था, वह अब रायपुर में अवैध कब्जे और खुलेआम नियम उल्लंघन का केंद्र बनती जा रही है। पंडरी स्थित श्याम प्लाजा के सामने की दर्जनों दुकानें, जो बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवंटित की गई थीं, आज किराये पर दी जा रही हैं, दीवारें तोड़कर उनका विस्तार किया जा रहा है, और कुछ में मांसाहारी भोजनालय तक संचालित हो रहे हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बजरंगबली मंदिर के बगल में बिरयानी सेंटर खोल दिया गया है, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। स्थानीय नागरिकों ने कड़ी नाराजगी जताई है कि चार दुकानें छोड़ते ही मीट-मटन की दुकान शुरू हो गई, और नगर निगम मूकदर्शक बना हुआ है।
योजना की शर्तों के अनुसार, दुकान न किराए पर दी जा सकती है, न ही किसी अन्य को सौंपा जा सकता है। इसके बावजूद यहां दुकानें किराये पर चलाई जा रही हैं और कुछ लाभार्थियों ने उन्हें बेच भी दिया है, जिससे पात्र बेरोजगार युवाओं का हक छिन रहा है।
अवैध निर्माण और अतिक्रमण की भरमार
सूत्रों के अनुसार, कई दुकानों की दीवारें तोड़कर उनका क्षेत्रफल बढ़ाया गया है, और कुछ मामलों में तो नालियों के ऊपर अतिक्रमण कर लिया गया है। इससे जल निकासी अवरुद्ध हो गई है और सड़कों पर गंदा पानी बह रहा है, जिससे नागरिकों को परेशानी और बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
नगर निगम क्यों है खामोश?
स्थानीय नागरिकों और शिकायतकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं कि नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी जान-बूझकर अनदेखी कर रहे हैं। न कोई निरीक्षण किया गया, न ही किसी दुकान के खिलाफ कार्रवाई की गई, जबकि शिकायतें महीनों से लंबित हैं।
शासन से तत्काल कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ताओं और नागरिक संगठनों ने शासन से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा। मांग की गई है कि:
सभी दुकानों की तुरंत जांच हो
- नियम उल्लंघन पर दुकानें निरस्त की जाएं
- किराये पर दी गई दुकानों को सील किया जाए
- दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई हो
- वास्तविक पात्र बेरोजगारों को उनका वाजिब अधिकार मिले
अगर शासन और प्रशासन इस मामले को अब भी नजरअंदाज करते हैं, तो यह न केवल योजना की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि भ्रष्टाचार को संरक्षण देने जैसा होगा। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की गरिमा बचाने के लिए यह आवश्यक है कि तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए।