खास खबर : सरकारी नौकरी की आड़ में 43 लाख की ठगी: तखतपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, तीन गिरफ्तार
खाद्य निरीक्षक, पटवारी व अधीक्षक के नाम पर नौकरी का लालच

पैसों से नौकरी खरीदने वाला शिकायतकर्ता भी बना आरोपी
पुलिस की सख्ती: रिश्वत देने व लेने वाले दोनों पर एक साथ कार्रवाई
ऐतिहासिक मामला: न्यायालय ने पहली बार खरीदार को भी भेजा जेल
एसपी रजनेश सिंह के नेतृत्व में तखतपुर पुलिस की निर्णायक छापेमारी
बिलासपुर जिले के तखतपुर थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक ऐसे संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपये की ठगी कर रहा था। इस मामले में तखतपुर पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर भेजा है, जबकि पैसे देकर नौकरी खरीदने वाले व्यक्ति को भी पहली बार आरोपी बनाकर जेल भेजा गया है। यह कार्रवाई न केवल ठगों पर, बल्कि भ्रष्ट मानसिकता पर भी कड़ा संदेश है।
बिलासपुर। सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले एक शातिर गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए तखतपुर पुलिस ने 43 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस ऐतिहासिक कार्रवाई में वह व्यक्ति भी सलाखों के पीछे पहुंचा, जिसने रिश्वत देकर नौकरी खरीदने की कोशिश की थी।
आरोपी विष्णु प्रसाद राजपूत (67), सीमा सोनी (29) और सूर्यकांत जायसवाल (55) को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 34 के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया। एक अन्य आरोपी जावेद खान उर्फ राजा पहले से ही अन्य प्रकरण में जेल में बंद है।
पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ता सूर्यकांत जायसवाल ने अपने तीन बच्चों को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए फरवरी 2022 से जून 2023 के बीच आरोपियों को किस्तों में कुल 43 लाख रुपये दिए। यह रकम खाद्य निरीक्षक, हॉस्टल अधीक्षक और पटवारी पदों पर नियुक्ति दिलाने के नाम पर ली गई थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (IPS) के निर्देश पर जांच शुरू की गई, जिसे एसडीओपी कोटा भारती मरकाम के निर्देशन में अंजाम दिया गया। इस दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यह न सिर्फ आर्थिक अपराध है, बल्कि यह पूरे चयन प्रक्रिया और मेधावी अभ्यर्थियों के अधिकारों का भी अपमान है।
विशेष बात यह रही कि इस प्रकरण में न्यायालय ने पैसे देकर नौकरी पाने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को भी दोषी माना और उस पर भी कानूनी शिकंजा कसा गया। यह छत्तीसगढ़ की पुलिस कार्रवाई में पहली मिसाल है, जिसमें रिश्वत लेने के साथ देने वाले को भी आरोपी बनाया गया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा और तखतपुर थाना प्रभारी की टीम ने यह कार्रवाई कर यह स्पष्ट किया है कि अब "शॉर्टकट" से न नौकरी मिलेगी और न ही कानून का बचाव।