सरकारी स्कूलों में किताबों का टोटा, पढ़ाई पर लगा ब्रेक

दुर्ग जिले के 177 में से सिर्फ 39 संकुलों में पहुंची किताबें, पाटन ब्लॉक में एक भी स्कूल नहीं हुआ लाभान्वित

सरकारी स्कूलों में किताबों का टोटा, पढ़ाई पर लगा ब्रेक

दुर्ग जिले के सरकारी स्कूलों में नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन हजारों बच्चे बिना किताबों के पढ़ाई करने को मजबूर हैं। किताबों की अनुपलब्धता के कारण न सिर्फ कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि छात्रों का शैक्षणिक भविष्य भी संकट में है। शिक्षा विभाग की लापरवाही से स्कूलों में शैक्षणिक माहौल सुस्त पड़ा है।

दुर्ग।  दुर्ग जिले के पाटन ब्लॉक सहित कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में शिक्षा सत्र की शुरुआत बेहद कठिन परिस्थितियों में हो रही है। छात्र अब भी पाठ्यपुस्तकों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

किताबें नहीं, शिक्षकों के पास विकल्प भी नहीं
शैक्षणिक सत्र को शुरू हुए कई सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन कई स्कूलों में बच्चों को अब तक पाठ्यपुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। शिक्षक भी असमंजस में हैं—पढ़ाएं तो कैसे? कुछ शिक्षक अपनी जेब से बच्चों की सामग्री की फोटो कॉपी करवा रहे हैं, वहीं कई स्कूलों में समय बिताने के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों और खेलों का सहारा लिया जा रहा है।

बोर्ड परीक्षाओं के छात्रों पर सीधा असर
कक्षा दसवीं और बारहवीं के छात्र इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। जहां परीक्षा की तैयारी के लिए हर दिन अहम होता है, वहीं किताबों की अनुपलब्धता से वे अपने पाठ्यक्रम में पिछड़ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवारों के बच्चे, जो पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, अब शिक्षा के अधिकार से भी वंचित हो रहे हैं।

अभिभावक कर रहे हैं सवाल
अभिभावकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि बिना किताबों के बच्चे स्कूल जाकर क्या पढ़ेंगे? कई अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप कर किताबें उपलब्ध कराने की मांग की है।

प्रशासन की चुप्पी, बच्चे भुगत रहे खामियाजा
शिक्षा विभाग की ओर से कोई स्पष्ट या ठोस जवाब सामने नहीं आया है। विभाग की ओर से किताबों की छपाई और वितरण में देरी को वजह बताया जा रहा है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।

आंकड़ों में तस्वीर साफ

प्राथमिक कक्षाएं (कक्षा 1 से 8):

  • धमधा ब्लॉक: 45 में से 9 संकुल को किताबें प्राप्त
  • दुर्ग ग्रामीण: 41 में से 20 संकुल
  • दुर्ग शहर: 34 में से 10 संकुल
  • पाटन: 57 संकुलों में से एक भी नहीं
  • कुल: 177 संकुल में से सिर्फ 39 को पुस्तकें प्राप्त

उच्च कक्षाएं (कक्षा 9वीं–10वीं):

  • धमधा: 45 स्कूलों में से 36 को किताबें प्राप्त
  • दुर्ग ग्रामीण: 41 में से 19
  • दुर्ग शहर: 38 में से 23
  • पाटन: 57 में से 14
  • कुल: 181 में से केवल 92 स्कूलों तक किताबें पहुंचीं