कच्चा घर था तो बेटियों की शादी में दिक्कत आ रही थी, मकान बन गया तो हाथ भी पीले हो गये

दुर्ग 13 जनवरी 2023| टायलेट एक प्रेम कथा फिल्म में टायलेट के नहीं होने की वजह से एक परिवार की खुशियां बिखरने के कगार पर आ गई थीं लेकिन जब टायलेट बन गया तो घर बिखरने से बच गया। सरकारी योजनाओं के तहत जिन्हें मकान बनाने में सहायता दी गई, सबकी ऐसी ही कुछ न कुछ कहानियां हैं और सभी कहानियों का अंत बहुत सुखद है। कच्ची झोपड़ियों में उनके सपने भी सिसक रहे थे। आवास बन गया तो सपने भी पूरे हो गये। भिलाई की कुरूद बस्ती के वार्ड क्रमांक 16 में कतार से पीएम आवास के घर नजर आते हैं। सारे घर हाल-फिलहाल में तैयार हुए हैं। द्रौपदी साहू का किस्सा लें। उनकी चार बेटियां थीं, कच्चा घर था। रिश्ता बनता था लेकिन जब लड़के वाले घर की स्थिति देखते थे तो पीछे हट जाते थे। जब ऐसा ही हुआ तो निर्णय लिया कि पीएम आवास के लिए सरकार सहायता दे रही है यह बन जाएगा तो ही रिश्ते के लिए आगे बात करेंगे। घर बन गया और शादी भी तय हो गई। दामाद कैसा मिला है यह पूछने पर द्रौपदी ने बताया कि घर तो बन गया था लेकिन सजावट कुछ कम थी। दामाद ने कहा कि घर के सामने टाइल्स लगवा दें तो घर और सुंदर हो जाएगा। दामाद ने केवल सुझाव नहीं दिया, उसने टाइल्स भी लगवा दिया। द्रौपदी बताती हैं कि साफसुथरा सुंदर घर कितना अच्छा लगता है। कच्चे घऱ में बहुत दिक्कत होती थी। सरकार ने सवा दो लाख रुपए दिये और हमने अपनी बचत भी इससे जोड़ी जिससे हमारा सुंदर सा घर तैयार हो गया है। अपने सुंदर घर में द्रौपदी ने संत कबीर की तस्वीर वाली टाइल्स भी लगाई है। घर के साथ कितने सारी भावनाएं जुड़ी रहती हैं यह तस्वीर बताती है।