खास समाचार : 10 साल से पहचान छिपाकर रह रहे थे दो बांग्लादेशी नागरिक, गिरफ्तार
एसटीएफ की कार्रवाई में छावनी क्षेत्र से पकड़े गए अवैध घुसपैठिए; फर्जी दस्तावेजों से बना रखे थे आधार-पासपोर्ट
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में अवैध रूप से रह रहे दो बांग्लादेशी नागरिकों को एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। दोनों आरोपी बीते 10-12 वर्षों से नकली पहचान के सहारे भारत में रह रहे थे और सरकारी दस्तावेजों का दुरुपयोग कर चुके थे।
भिलाई। राज्य में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ गठित विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की सघन कार्रवाई के तहत मंगलवार को दुर्ग जिले के कैम्प-02 छावनी क्षेत्र से दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। ये दोनों आरोपी—एक पुरुष और एक महिला—पिछले एक दशक से फर्जी पहचान के सहारे भारत में रह रहे थे।
गुप्त सूचना के आधार पर अमन लकड़ी टाल के पास स्थित किराए के मकान में दबिश दी गई। पूछताछ में आरोपी पुरुष ने अपना नाम मोहम्मद अली शेख और महिला ने साथी शेख बताया, दोनों ने खुद को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना का निवासी बताया। जांच में पता चला कि ये नाम और पते फर्जी थे।
डिजिटल डेटा और दस्तावेजों की गहन जांच में खुलासा हुआ कि पुरुष की असली पहचान मोहम्मद अब्दुल रौब हुसैन, निवासी जेस्सोर जिला, बांग्लादेश है। वह वर्ष 2012 में अवैध रूप से भारत-बांग्लादेश सीमा पार कर पश्चिम बंगाल पहुंचा था और वहीं एक महिला से विवाह कर उसकी मदद से भारतीय पहचान दस्तावेज बनवाए। इसी के आधार पर आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता परिचय पत्र और बैंक पासबुक तक बनवा लिए।
दोनों के मोबाइल से बांग्लादेश के पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज मिले हैं, जिससे उनकी बांग्लादेशी नागरिकता की पुष्टि हुई।
इन आरोपियों के विरुद्ध बीएनएस अधिनियम 2023, विदेशी नागरिक अधिनियम 1986, भारतीय पासपोर्ट अधिनियम 1967, और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 के तहत कार्रवाई की गई है।
अब तक दुर्ग जिले में कुल 7 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ एसटीएफ द्वारा कार्रवाई की जा चुकी है। राज्य सरकार अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया में सक्रियता से कार्य कर रही है।