ब्रेकिंग न्यूज : भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव को हाईकोर्ट का नोटिस....नामांकन पत्र में झूठा हलफनामा पेश करने का है आरोप...
भाजपा प्रत्याशी प्रेम प्रकाश पांडेय ने लगाई है याचिका

भिलाई. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भिलाई नगर से कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उनके निर्वाचन को चुनौती देते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व भाजपा उम्मीदवार प्रेमप्रकाश पांडेय ने चुनाव याचिका दायर की है। इसमें देवेंद्र यादव पर अपने नामांकन पत्र में झूठा शपथपत्र प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया है। केस की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडेय ने एडवोकेट शैलेन्द्र शुक्ला और देवाशीष तिवारी के माध्यम से कांग्रेस प्रत्याशी व विधायक देवेंद्र यादव के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि चुनाव आयोग से आपराधिक मामलों और संपत्ति की जानकारी छिपाना जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन है, अगर कोई उम्मीदवार इस तरह की जानकारी छिपाता है तो उसका निर्वाचन अवैध हो जाता है। याचिका में कहा गया है कि विधायक देवेंद्र पांडेय ने जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन किया है और अपने संपत्ति की जानकारी छिपाई है। साथ ही आपराधिक केस का भी अपने हलफनामा में जिक्र नहीं है। लिहाजा, उनके निर्वाचन को निरस्त करने की मांग की गई है।
बिलासपुर और रायपुर कोर्ट ने घोषित किया है भगौड़ा
याचिकाकर्ता प्रेमप्रकाश पांडेय की तरफ से सीनियर एडवोकेट डॉ. निर्मल शुक्ला ने तर्क दिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि रायपुर और बिलासपुर के कोर्ट ने देवेंद्र यादव को समन जारी किया है, जिसमें उन्हें भगौड़ा घोषित किया गया है। लेकिन, विधायक देवेंद्र यादव ने अपने शपथपत्र में इस आपराधिक कृत्यों का कोई जिक्र ही नहीं किया है।
संपत्ति संबंधी जानकारी भी छिपाई
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि विधायक यादव ने आयोग के दिशानिर्देश और जनप्रतिनिधित्व कानून का खुला उल्लंघन करते हुए संपत्ति के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्यों को भी दबाने का प्रयास किया है। इसके प्रमाण में बताया गया है कि साल 2018-2019 में उन्होंने अपनी आय 2 लाख रुपए बताया था। फिर नामांकन पत्र जमा करते समय प्रस्तुत शपथ पत्र में भी अपनी दो लाख की आय होना बताया है।
जनप्रतिनिधित्व कानून को बनाया है आधार
इस चुनाव याचिका में प्रेमप्रकाश पांडेय के एडवोकेट ने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को ही प्रमुख आधार बनाया है। यही वजह है कि इस केस में चुनाव आयोग को पक्षकार नहीं बनाया गया है। इस कानून के अनुसार अगर कोई उम्मीदवार चुनाव याचिका दायर करता है और निर्वाचित जनप्रतिनिधि को पक्षकार बनाता है, तो हाईकोर्ट तथ्यों के आधार पर उसके खिलाफ सुनवाई करता है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि अगर याचिकाकर्ता चाहता है कि जनप्रतिनिधि का निर्वाचन निरस्त किया जाए तो केवल उसे ही पक्षकार बनाया जाता है। वहीं, अगर उम्मीदवार उसके निर्वाचन निरस्त होने के बाद खुद को निर्वाचित घोषित करने की मांग करता है तो सभी प्रत्याशियों को पक्षकार बनाने का प्रावधान है। इस याचिका में प्रेमप्रकाश पांडेय ने तथ्यों के आधार पर विधायक देवेंद्र यादव के निर्वाचन को निरस्त करने की मांग की है। ऐसे में केवल उन्हें ही पक्षकार बनाया गया है। जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने केस की सुनवाई के बाद नोटिस जारी कर 24 मार्च तक जवाब मांगा है।