इस मंदिर में नवरात्रि पर नहीं रखा जाता है कलश, जानें क्या है मान्यता
पूर्णिया के माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं बिठाकर सिर्फ जयंती पूजा होती है. मुख्य वजह स्पष्ट बताते हुए माता कामाख्या मंदिर के पुजारी गौरीकांत झा और पवन झा कहते हैं कि कलश नहीं बिठाया जाता है.

सनातन धर्म में नवरात्रि पूजन का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसे में लोग नवरात्रि के मौके पर 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी करते हैं. इस पूजा में कलश स्थापना की जाती है. पर पूर्णिया के इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर में कलश स्थापित नहीं होती है. यहां सिर्फ जयंती से पूजा होती है. माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं बिठाया जाता है. सिर्फ जयंती गिराकर ही मां के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है. यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है. यह मंदिर पूर्णिया जिला के केनगर प्रखंड के मजरा पंचायत के भवानीपुर में स्थित है.आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह.
कलश नहीं सिर्फ जयंती से होती मां की पूजा
बिहार के पूर्णिया के माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं स्थापित नहीं किया जाता है, यहां सिर्फ जयंती की पूजा होती है. इसकी मुख्य वजह स्पष्ट बताते हुए माता कामाख्या मंदिर के पुजारी गौरीकांत झा, पवन झा, स्थानीय भोला यादव, राजेंद्र यादव ने बताया कि नवरात्रि के मौके पर माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं बिठाया जाता है. सिर्फ जयंती गिराकर ही मां के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है.
वहीं मौजूद लोगों ने कहा इस मंदिर में मां दुर्गा की कोई प्रतिमा भी स्थापित नहीं है. साथ-साथ सबों ने कहा यह माता का सिद्ध पीठ है माता खुद आदि शक्ति है..वो खुद शक्ति देती हैं वो किन्ही से शक्ति नहीं लेती. जिस कारण इस मंदिर में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं. हालांकि मौजूद सभी लोगों ने कहा कि नवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ में काफी कमी आ जाती है. वहीं श्रद्धालु ना के ही बराबर आते हैं. सभी लोग अपने-अपने घरों में और इधर-उधर पूजा पाठ में लगे रहते हैं.