शिव-पार्वती विवाह के 5 रोचक तथ्य, बारात देख डर गई थीं देवी गौरी की मां, शादी से कर दिया था इंकार
सनातन धर्म में भगवान शिव को मानने वाले असंख्य भक्त आज महाशिवरात्रि के पर्व में खुशी से झूम रहे हैं. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. इनके विवाह में क्या अनोखा हुआ? क्या अड़चनें आईं, जानेंगे आज के इस आर्टिकल में.

आज महाशिवरात्रि की धूम पूरे देश में देखी जा रही है. हर शिव भक्त अपने आराध्य की भक्ति में डूब कर उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद पाना चाहता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैवाहिक बंधन में बंधे थे. धार्मिक मान्यताएं तो यह भी हैं कि शिवरात्रि पर भगवान शिव करोड़ों सूर्य की समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में भी प्रकट हुए थे. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं भगवान शिव और पार्वती के विवाह से जुड़े 5 रोचक तथ्य.
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ी बातें पुराणों में मिलती है. सबसे पहले भगवान शंकर में माता सती से विवाह किया था. सती के पिता दक्ष इस विवाह के पक्ष में नहीं थे परंतु राजा दक्ष ने पिता ब्रह्मा के कहने पर बेटी सती का विवाह भगवान शंकर से कर दिया था. एक बार राजा दक्ष ने भगवान शंकर को यज्ञ में ना बुला कर उनका अपमान किया था. जिससे दुखी और नाराज होकर माता सती ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर ली थी.
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2. इस घटना के बाद भगवान शिव घोर तपस्या में लीन हो गए. माता सती ने पर्वतराज हिमालय के यहां माता पार्वती के रूप में जन्म लिया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उस दौरान दैत्य तारकासुर का आतंक हुआ करता था. यह वरदान था कि तारकासुर का वध भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही संभव है. परंतु भगवान शिव तपस्या में लीन थे जिसके लिए सभी देवताओं ने भगवान शिव के विवाह की योजना बनाकर कामदेव को भोलेनाथ की तपस्या भंग करने के लिए भेजा, परंतु कामदेव खुद ही भस्म हो गए थे.
3. सभी देवताओं की बेहद अनुरोध करने पर भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करने के लिए राजी हो गए. भगवान शिव बारात लेकर माता पार्वती के यहां पहुंचे, इस बारात में हर तरह के लोग, गण, दानव, दैत्य, देवता, पशु, कीड़े, मकोड़े, भूत, पिशाच और विक्षिप्त लोग बाराती बनकर माता पार्वती के यहां पहुंचे.
- 4. ऐसी बारात को देखकर देवी पार्वती की माता डर गईं और उन्होंने भगवान शिव को अपनी बेटी का हाथ सौंपने से इनकार कर दिया. माता पार्वती ने देखा की स्थिति बिगड़ रही है तो उन्होंने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वह हमारे रीति-रिवाजों के अनुसार तैयार होकर आएं. उसके बाद भगवान शिव को दैवीय जल से नहला कर पुष्प से तैयार कर माता पार्वती के यहां लेकर गए. तब जाकर उनका विवाह संपन्न हुआ.
- 5. विवाह के दौरान रिवाज है कि वर-वधू की वंशावली की घोषणा की जाती है. इस विवाह में माता पार्वती की वंशावली का खूब धूमधाम से बखान किया गया, परंतु भगवान शिव की बारी आई तो सभी शांत हो गए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस बात को संभालते हुए देव ऋषि नारद ने भगवान शिव के गुणों का बखान किया था.