10 हजार महिलाओं के दस्तखत के साथ दस्तावेज राज्यपाल को GS मिश्रा ने सौंपा, लिखा-बंद हो शराब दुकानें

रायपुर। प्रदेश की महिलाओं की मांग या यूं कहें कि उनकी आवाज अब राजभवन तक पहुंची है। प्रदेश में शराबबंदी लागू करने की गुहार राज्यपाल से की गई है। पूर्व आईएएस और बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य गणेश शंकर मिश्रा ने मांग पत्र और शराबबंदी का एक प्रस्ताव राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को सौंपा है।
राज्यपाल को सौंपा गया प्रस्ताव धरसींवा विधानसभा इलाके की 10 हजार से अधिक महिलाओं ने तैयार किया। एक सभा में सभी ने तय किया के प्रदेश में शराबबंदी लागू हो। कांग्रेस ने पिछले चुनावों में जो वादा किया वो पूरा हो। इस मामले में राज्यपाल से मुलाकात के बाद गणेश शंकर मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा करके कांग्रेस ने वोट ले लिए मगर बदले में धोखा दिया। राज्यपाल ने इस विषय पर बातचीत में सकारात्मक रवैया अपनाया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि इस विषय को वो तत्काल राज्य सरकार को भेजेंगे।
भाजपा शासन द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर शराबबंदी के लिए जनजागरण के लिए चलाए गये भारत माता वाहिनी अभियान को भी फिर से शुरू किए जाने का समर्थन राज्यपाल ने किया। उन्होंने कहा कि इसे फिर से शुरू किए जाना चाहिए मैं इस संबंध में भी राज्य सरकार को निर्देशित करूंगा।
राज्य के लोग लोग ठगा सा महसूस कर रहे हैं'
प्रदेश भाजपा नेता गणेश शंकर मिश्रा ने कहा कि गंगाजल लेकर कसम खाकर कांग्रेस ने एक हफ्ते में शराबबंदी करने की बात कही थी, पर शराबबंदी तो नहीं हुई, बल्कि अब तो घर घर शराब पहुंच रही है, इस वादाखिलाफ़ी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इससे प्रदेश के लोग आज ठगा सा महसूस कर रहे हैं, जिसकी जानकारी भी राज्यपाल से साझा की गई है।
भाजपा शासनकाल में शुरू हो चुकी थी शराबबंदी
दिलचस्प बात यह रही कि लंबे वक्त तक आबकारी विभाग यानी शराब बेचने वाले विभाग के आयुक्त रह चुके रिटायर्ड आईएएस अधिकारी गणेश शंकर मिश्रा बतौर प्रदेश भाजपा नेता इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे । सभा में पहुंची महिलाओं को संबोधित करते हुए मिश्रा ने बताया कि पिछली भाजपा सरकार शराबबंदी का काम शुरू कर चुकी थी। धीरे-धीरे करीब 400 दुकानों को बंद किया जा चुका था।
अपने विभागीय अनुभव को साझा करते हुए मिश्रा ने कहा कि जब आबकारी विभाग में, मैं कार्यरत था, तब भारत माता वाहिनी नाम का एक अभियान भी शुरू किया गया था। यहां महिलाएं गांव-गांव में अवैध शराब की बिक्री संबंधी शिकायतों पर खुद काम करती थी। पिछली भाजपा सरकार के समय अलग-अलग छोटे-छोटे ग्रामों में धीरे-धीरे कर शराब दुकानें बंद की जा रही थी, इसे आंशिक शराबबंदी का नाम दिया गया था और धीरे-धीरे इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाता।