CBI अफसर बनकर की 54.90 लाख की ठगी, डिजिटल अरेस्ट गिरोह के चार आरोपी गिरफ्तार

  • नेवई थाना क्षेत्र में दर्ज हुई बड़ी साइबर ठगी की वारदात
  • झूठे वीडियो कॉल से गिरफ्तारी का डर दिखाकर वसूले लाखों
  • चार आरोपी चढ़े पुलिस के हत्थे, मुख्य साजिशकर्ता अब भी फरार

दुर्ग जिले के नेवई थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक बड़ी साइबर ठगी का खुलासा करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का अधिकारी बताकर एक व्यक्ति को डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर धमकाते रहे और उससे 54 लाख 90 हजार रुपये की ठगी कर ली। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने जांच करते हुए आरोपियों तक पहुंच बनाई, हालांकि गिरोह का मुख्य मास्टरमाइंड अब भी फरार है।

दुर्ग। दुर्ग जिले के नेवई थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाला साइबर अपराध सामने आया है, जिसमें चार लोगों ने मिलकर एक व्यक्ति से 54.90 लाख रुपये की ठगी कर ली। आरोपी खुद को CBI का अधिकारी बताकर पीड़ित को वीडियो कॉल पर फर्जी जानकारी दी कि उसके नाम से केनरा बैंक में 2 करोड़ रुपये का संदिग्ध ट्रांजेक्शन हुआ है। इतना ही नहीं, पीड़ित को यह भी बताया गया कि उसका खाता किसी नरेश गोयल नामक व्यक्ति को बेचा जा चुका है, और इस मामले में गिरफ्तारी तय है।

डर और भ्रम का माहौल बनाकर आरोपियों ने पीड़ित परिवार की संपत्ति और व्यक्तिगत जानकारी जुटाई और फिर कार्रवाई से बचाने के नाम पर पैसे की मांग शुरू की। यह पूरा घटनाक्रम 29 अप्रैल से 29 मई के बीच चला, जिसके दौरान पीड़ित नरेश गोयल ने 54.90 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में जमा करा दिए।

शिकायत मिलने पर नेवई पुलिस ने गंभीरता से जांच शुरू की। जिस खाते में सबसे अधिक — 9 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था — उसकी छानबीन करते हुए पुलिस लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के दीपक गुप्ता, राजेश विश्वकर्मा, और कृष्ण कुमार तक पहुंची। पूछताछ में पता चला कि शुभम श्रीवास्तव नामक व्यक्ति ने इन्हें खातों से पैसे निकालकर कमीशन देने का वादा किया था, जिसके आधार पर ये फर्जी ट्रांजेक्शन हुए।

आखिरकार पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन खुद को CBI अधिकारी बताने वाला मुख्य आरोपी अब भी फरार है। पुलिस ने मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 318(4) और आईटी एक्ट की धारा 67(D) के तहत मामला दर्ज कर जांच तेज कर दी है।