कोरोना फिर पैदा कर देगा साल 2021 वाला दौर? मास्क पहनकर होना पड़ेगा क्वेरेंटीन? विशेषज्ञों की ये है राय
कोरोना फिर पैदा कर देगा साल 2021 वाला दौर? मास्क पहनकर होना पड़ेगा क्वेरेंटीन? विशेषज्ञों की ये है राय

कोरोना ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है. देश में 18 हजार के आसपास कोरोना के सक्रिय मरीज हो गए हैं. मेट्रो शहरों खासतौर पर दिल्ली और महाराष्ट्र में बढ़ते कोविड केसेज ने चिंता पैदा कर दी है. यहां सैकड़ों की संख्या में रोजाना कोरोना संक्रमित सामने आ रहे हैं. कोरोना की गति को देखते हुए महाराष्ट्र के अस्पतालों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. जबकि बुजुर्गों और बच्चों को खासतौर पर एहतियात बरतने की सलाह दी गई है. इस बार कोरोना का वेरिएंट भी पहले से अलग है, ऐसे में डर है कि ये कहीं कोरोना की नई लहर की आहट तो नहीं है? क्या फिर से साल 2021 वाला दौर आ सकता है?
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ. महेश चंद्र मिश्र कहते हैं कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. इनका बढ़ना संभव भी है. कोरोना वायरस को लेकर काफी समय से कहा जा रहा है कि यह खत्म नहीं हुआ है. यह हम सभी के आसपास ही बना हुआ है. चूंकि वायरस बार-बार म्यूटेट होता रहता है, जिंदा रहने के लिए अपना स्वरूप बदलता रहता है तो यही कोरोना वायरस भी कर रहा है. कई बार कोई रूप खतरनाक हो जाता है, जबकि कई बार यह सामान्य रूप से बिना बहुत ज्यादा प्रभावित किए निकल जाता है.
क्या फिर आएगा साल 2020-21 वाला दौर?
डॉ. मिश्र कहते हैं कि अगर ये सवाल है कि कोरोना खतरा है या नहीं, तो जान लें कि कोरोना अब बीमार करता रहेगा. वायरल और फ्लू की तरह यह लोगों को संक्रमित करता रहेगा. इसमें कोई दोराय नहीं है लेकिन जो केसेज बढ़ रहे हैं, उससे साल 2020 या साल 2021 वाला दौर आना संभव नहीं है. उस समय दो चीजें थीं. पहली कोरोना वैक्सीन और दूसरी संक्रमण से बनी इम्यूनिटी (Immunity). उन दिनों लोगों के शरीर में दोनों ही नहीं थीं. लिहाजा उन वर्षों में कोरोना ने अपना विकराल रूप दिखाया और बहुत सारे लोग इससे गहराई से प्रभावित हुए. जहां तक अभी की बात है तो उस दौर या महामारी के वापस आने की संभावना नहीं है.
क्या मास्क अनिवार्य और क्वेरेंटीन होना पड़ सकता है?
डॉ. मिश्र कहते हैं कि कोरोना से बचाव के लिए आज लोगों के शरीर में वैक्सीन से बनी हुई और संक्रमण से बनी हुई दोनों इम्यूनिटी मौजूद हैं. ऐसे में कोरोना का गंभीर खतरा होगा, ऐसा नहीं लगता है लेकिन इन सभी के बावजूद कोरोना संक्रमित तो कर सकता है, यह बड़ी संख्या में भी संक्रमित कर सकता है. इससे बचाव के लिए मास्क पहनना सबसे जरूरी है. मास्क के लिए सरकार की तरफ से पहनना अनिवार्य करने का आदेश या जुर्माने की घोषणा करना जरूरी नहीं है, बचाव के लिए लोगों को यह खुद ही अपने लिए अनिवार्य समझकर पहनना चाहिए.
जहां तक क्वेरेंटीन की बात है तो जो हाल पिछले सालों में कोरोना ने किया था, उस स्थिति में इसे फैलने से रोकना जरूरी था और क्वेरेंटीन सेंटर बनाए गए थे. इसके साथ ही लोगों को होम क्वेरेंटीन भी किया गया था. अब कोरोना को जब कई साल हो चुके हैं, लोगों को भी इसका अभ्यास हो गया है, क्वेरेंटीन होने का मतलब भी उन्हें समझ में आ चुका है, कोविड अनुरूप व्यवहार के बारे में भी जानकारी है तो घर के अन्य लोगों के बचाव के लिए मरीज को घर के एक निश्चित कमरे में सबसे अलग रखना सही है. यह भी एक तरह से क्वेरेंटीन होना ही है. क्वेरेंटीन का मतलब यही नहीं है कि बाहर किसी सेंटर में क्वेंरेंटीन होना पड़ेगा.