ये हैं कांग्रेस की हार के 10 प्रमुख वजह:गुटबाजी, मंत्रियो के प्रति नाराजगी और अंडर करेंट को भाप नहीं पाई कांग्रेस

छत्तीसगढ़ में चुनावी शोर थम गया है। 5 साल बाद बीजेपी एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने वाली है। कांग्रेस को महज 5 साल के कार्यकाल के बाद ही करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस वक्त सभी की जबान पर कुछ सामान्य से सवाल तैर रहे हैं। सवाल की कांग्रेस क्या वाकई में इस अंडर करेंट को भाप नहीं पाई? क्या वजह था कि कांग्रेस को महज एक पारी के बाद ही ऐसी हार का सामना करना पड़ा? जनता का जनादेश इस बार बीजेपी के पक्ष में कैसे रहा? तो ये हैं दस वजह जिसके वजह से प्रदेश की जनता ने कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का कमल खिलाया।
कांग्रेस पार्टी ने इस बार सर्वे के आधार पर कुल 22 विधायकों की टिकट काट दी थी। इस बार टिकट वितरण में जमकर गुटबाजी भी नज़र आई। यहां अपने पसंदीदा प्रत्याशी को टिकट दिलवाने से कहीं ज्यादा फोकस दुसरे गुट के पंसदीदा प्रत्याशियों की टिकट कटवाने पर रहा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जगदलपुर की सीट। यहां पीसीसी चीफ दीपक बैज कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गेंदू को टिकट दिलवाना चाहते थे लेकिन डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव जतिन जैन के पक्ष में लॉबिंग कर रहे थे। अंत में टिकट जतिन जायसवाल को दी गई जबकि कांग्रेस की ओर से सबसे मजबूत प्रत्याशी रेखचंद जैन माने जा रहे थे। गुटबाजी के चक्कर में जैन को टिकट नहीं मिला।
नौ मंत्रियों का चुनाव हारना, यह बताता है कि मंत्रियों के कामकाज से जनता संतुष्ट नहीं थी। विधायकों के कामकाज का रिव्यू तो पार्टी ने किया लेकिन मंत्रियों के कामकाज का रिव्यू नहीं हो पाया। मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी रही और पार्टी उनके साथ खड़ी नजर आई। इस कारण सारे मंत्रियों को टिकट देने का मामला कांग्रेस के खिलाफ गया। जातिगत जनगणना की बात को भी बहुसंख्य समाज ने स्वीकार नहीं किया। क्योंकि इससे समाज में एक तरह का वर्गीकरण होता और भेदभाव बढ़ने की आशंका थी। फिर ईडी और आईटी की कार्रवाई भ्रष्टाचार के मामले में होती रही, उससे भी भूपेश सरकार को नुकसान होने की बात सामने आ रही है।