कर्मी किसी भी पैटर्न से कर सकते हैं इनकम टैक्स फाइल, रिटर्न भरने के दौरान घबराएं नहीं

कर्मी किसी भी पैटर्न से कर सकते हैं इनकम टैक्स फाइल, रिटर्न भरने के दौरान घबराएं नहीं

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने को लेकर विभाग ने पद्धति में बदलाव किया है। इसके बाद कर्मिकों के सामने रिटर्न फाइल करने के दो विकल्प हो गए हैं। इससे उनके सामने असमंजस की स्थिति निर्मित हो गई है। इस समस्या का निराकरण करने के लिए सीटू के प्रतिनिधि टीवीएस रेड्डी एवं अशोक खातरकर फाइनेंशियल एक्सपर्ट से बात की।

उन्होंने बताया कि वेतनभोगी कर्मियों और व्यापारियों में यह अंतर है कि कर्मी हर साल रिटर्न फाइल करने के पैटर्न में बदलाव कर सकते हैं लेकिन व्यापारियों के लिए यह सुविधा नहीं है। उन्होंने एक बार नए पैटर्न से रिटर्न फाइल कर दिया तो आने वाले वर्षों में भी उसी सिस्टम को फॉलो करना होगा। चर्चा के बाद यूनियन नेताओं ने कर्मियों से कहा कि इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय घबराने की आवश्यकता नहीं है।

आप इनकम टैक्स पोर्टल में जाकर खुद ऑपरेट करके इनकम टैक्स भर सकते हैं। नए अथवा पुरानी इनकम टैक्स रिज्यूम अर्थात कर व्यवस्था में अपनी गणना करने के बाद किस व्यवस्था में इनकम टैक्स देना है, यहां आप चुन सकते हैं। किसी जानकार अथवा चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास जाकर अपना आयकर रिटर्न भरवा सकते हैं। हालांकि दो-दो पैटर्न सामने रहने पर घबराहट होना स्वाभाविक है लेकिन इन व्यवस्थाओं को बारीकी से पढ़ने की आवश्यकता है। जिससे आप खुद तय कर पाएंगे कि कौन सी व्यवस्था में आईटी रिटर्न भरना है।

नई टैक्स पद्धति में छूट का कोई प्रावधान नहीं

नई टैक्स पद्धति के तहत 3 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगता है। 3 लाख से 6 लाख तक 5%, 6 लाख से 9 लाख तक 10%, 9 लाख से 12 लाख तक 15%, 12 लाख से 15 लाख तक 20% एवं 15 लाख से ऊपर 30% इनकम टैक्स लगता है। इस नए पद्धति में कोई छूट का प्रावधान नहीं है केवल सरकार द्वारा घोषित 50000 रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया गया है।

पुरानी टैक्स पद्धति में 1.5 लाख तक छूट मिलती थी

पुरानी टैक्स पद्धति में 2.5 लाख तक कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है। 2.5 लाख से 3 लाख तक 5%, 3 लाख से 10 लाख तक 20%, एवं 10 लाख से ऊपर 30% इनकम टैक्स लगता है। इस पद्धति में 80सी के तहत सीपीएफ, वीपीएफ, पीपीएफ एजुकेशन फीस जैसे विभिन्न मदों पर 1.5 लाख तक की छूट मिलती है। हाउसिंग लोन के ब्याज पर अधिकतम दो लाख तक सीधा ग्रास से घटाने की छूट, 80जी के तहत दिए गए डोनेशन को सीधा ग्रास से घटाने की छूट, एचआरए एलटीए पर छूट, मेडिकल प्रीमियम पर 25000 तक सीधा ग्रास से घटाने की छुट, एजुकेशन लोन के ब्याज को सीधा ग्रास से घटाने की छूट प्राप्त है।

जिस पैटर्न से रिटर्न फाइल करेंगे, रिफंड उसी से होगा

सीटू नेता ने कहा कि हर साल आयकर कटता है किंतु हमें वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद आयकर रिटर्न भरना पड़ता है। प्रबंधन फिलहाल यह पूछ रहा है कि आप नई व्यवस्था के तहत आयकर कटवाना चाहते हैं या पुरानी व्यवस्था के तहत आयकर कटवाना चाहते हैं, तय करके बता दें। लेकिन वास्तविकता यह है कि आप किसी भी पद्धति से आयकर कटवाए, रिटर्न भरते समय जिस पद्धति को चुनेंगे, उसी के तहत आपका रिटर्न भरा सकते हैं। उस पद्धति के अनुसार निर्धारित होने वाला टैक्स आयकर विभाग में जमा होगा। बाकी पैसा आप रिफंड ले सकेंगे।