ग्राम अण्डा में  क्रांतिवीर सुखदेवराज जी पुण्य तिथि मनाया गया है.....

दुर्ग के अंडा गांव में दस साल रहे आज़ाद के साथी क्रांतिकारी सुखदेव राज 

 ग्राम अण्डा में  क्रांतिवीर सुखदेवराज जी पुण्य तिथि मनाया गया है.....

दुर्ग ग्रामीण विधायक श्री ललित चंद्राकर जी और अहिवारा विधायक श्री डोमन लाल कोसेवाडा जी अंडा आश्रम पहुंचकर क्रांतिवीर सुखदेव राज को पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित किया। दुर्ग ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम अण्डा में  भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ व ग्रामपंचायत अण्डा के  सयुक्त तत्वाधान में आयोजित  महान क्रांतिकारी सुखदेव राज की पुण्यतिथि पर आश्रम पहुंच कर  दुर्ग ग्रामीण विधायक श्री ललित चंद्राकर जी व अहिवारा विधायक श्री डोमन लाल कोसेवड़ा जी के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किया और उनको याद किया।

आजादी के आंदोलन में शरीक कुछ नाम अमर हो गए, तो कुछ नाम गुमनामी के अंधेरे में खो गए। एक नाम जिसे पूरी दुनिया जानती है सुखदेव। वह सुखदेव थापर थे जो शहीदे आजम भगत सिंह व राजगुरु के साथ फांसी पर झूल गए। उस दौर में एक सुखदेव राज और थे भगत सिंह व चंद्रशेखर आज़ाद के साथी सुखदेव राज इलाहाबाद के जिस कंपनी बाग में पंडित जी शाहिद हुए उस दिन उनके साथ जो शख़्स बैठा था वह थे सुखदेव राज जिनकी समाधि स्थल दुर्ग के अंडा गांव में है..

इस अवसर पर प्रमुख रूप से  साहित्य कार व कवि श्री गुलवीर सिंह भाटिया जी सरपंच उमादेवी चंद्राकर जी भारतीय पेंशनर महासंघ अध्यक्ष श्री बी के वर्मा जी श्री बी के  शर्मा जी श्री के के साहू जी  श्री सी . एल वर्मा जी  श्री अजीत चंद्राकर जी श्रीसांसद प्रतिनिधी श्री मनोज चंद्राकर जी महामंत्री श्री पुकेश चंद्राकर जी श्री  पानी पंचायत अध्यक्ष तिलक चंद्राकर जी  विधायक प्रतिनिधी श्री फेंकू चंद्राकर जी विधायक प्रतिनिधि बलदाऊ चौहान जी यशवंत देवांगन लोकेश देवांगन जी  श्री डी. पी. चंद्राकर जी  श्री हेमेंद्र चंद्राकर जी व बड़ी संख्या में देव तुल्य ग्रामीण जन उपस्थित रहें।..

इस अवसर पर दुर्ग ग्रामीण विधायक श्री ललित चंद्राकर जी महान क्रांति कारी सुखदेव राज जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया 
सुखदेव राज का जन्म 8 दिसंबर 1906 को लाहौर के खत्री परिवार में हुआ था। पढ़ाई के दौरान वे क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा के संपर्क में आए और क्रांतिकारी दल में जुड़ गए। सुखदेव राज शहीदे आजम भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद के बाद निकटम साथी रहे। क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से वे दो बार पकड़े गए थे। उन्हें दो बार तीन तीन साल की सजा हुई थी। 1931 में अल्फर्ड पार्क से निकलकर वह कहां गए यह किसी को पता नहीं, पर 1963 में वे दुर्ग आ गए। तब वह विनोद भावे के सेवा भावना से प्रेरित होकर उनसे जुड़ चुके थे। विनोबा भावे के कहने पर वे दुर्ग आए। कोलिहापुरी के चंद्राकर परिवार ने कुष्ठ आश्रम के लिए पांच एकड़ जमीन दी। यहीं रहकर सुखदेव राज कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे। दस साल उन्होंने यहीं रहकर लोगों की सेवा की। दुर्ग स्टेशन रोड स्थित पंचशील स्टूडियों के संस्थापक स्व.राज वर्मा, कोलिहापुरी निवासी स्व.गिरधारी दास मानिकपुरी, छत्तीसगढ़ सिख पंचायत के अध्यक्ष रहे मालवीय नगर दुर्ग निवासी स्व. हरभजन सिंह से उनकी गहरी दोस्ती थी। वे अक्सर पंचशील स्टू?डियों में आकर बैठा करते थे। 1973 में सुखदेव राज का निधन हो गया।

इस अवसर पर अहिवारा विधायक श्री डोमन लाल कोसेवड़ा जी ने क्रांतिवीर सुखदेव राज द्वारा किए कार्यों को याद किया और श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर साहित्य कार व कवि श्री गुलवीर सिंह भाटिया जी ने उनके साथ दुर्ग में बिताए समय को याद कर भावुक हो गए और पुरा जीवंतवृत्तांत सुनाया अधिकतर दुर्ग में सदर बाजार के मार्केट में अधिकतर  भाटिया जी साथ बैठते थे।

साथ ही इस अवसर पर एक गुमनाम स्वामी क्रान्तिवीर सुखदेव राज पुस्तक का विमोचन अतिथियों के कर कमलों से किया गया । साथ ही इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार जनों का सम्मान किया गया और एक पेड़ मां के नाम आभियान के तहत पौधा रोपण किया गया।