जिले में स्वाइन फ्लू के 5 मरीज मिले, 3 की मौत, फिर भी सर्दी-खांसी के मरीजों की स्क्रीनिंग कर जांच नहीं

जिले में स्वाइन फ्लू के 5 मरीज मिले, 3 की मौत, फिर भी सर्दी-खांसी के मरीजों की स्क्रीनिंग कर जांच नहीं

जिले में इस साल अब तक स्वाइन फ्लू (एच1 एन1) के पांच मरीज मिल चुके हैं। दल्ली राजहरा, रिसाली और दुर्ग के मरीज को मिलाकर तीन की मौत गई है। इसके बाद भी सर्दी-खांसी व जुकाम के मरीजों की स्क्रीनिंग कर स्वाइन फ्लू की जांच नहीं कराई जा रही है।

सात दिनों तक ठीक नहीं होने वाले सर्दी-खांसी और जुकाम के स्वाइन फ्लू होने की आशंका रहती है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग हीलाहवाला कर रहा है। सरकारी हो या निजी किसी भी अस्पताल में स्वाइन फ्लू के शंकास्पद अर्थात सर्दी-खांसी-जुकाम के मरीजों का डाटा नहीं तैयार ​कराया जा रहा है। यहां तक ​​कि इसके संदेहास्पद मरीजों को सभी मरीजों के साथ लाइन लगकर अस्पतालों में दिखाना पड़ रहा है।

अब तक एक भी सेंटर पर स्वाइन फ्लू के संदेहास्पद मरीजों के लिए कोरोना काल की तरह अलग ओपीडी शुरू नहीं की गई है। जिन मोहल्लों के तीन मरीजों की मौत हुई है, उनके कांटेक्ट में रहने वालों की भी जांच नहीं कराई गई है। ठंड बढ़ते ही स्वाइन फ्लू के वायरस का और अधिक सक्रिय होना तय है। स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है।

स्वाइन फ्लू के बारे में वह सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं

1.. क्या होता है:- सामान्य भाषा में यह सीजन सर्दी-खांसी-जुकाम की तरह ही है। लेकिन आगे इसका एच1एन1 वायरस सांस की नली को प्रभावित करते हुए फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इसकी चपेट में आने पर फेफड़े पहले वायरस की वजह से डैमेज होते हैं, आगे बैक्टीरियल अटैक शुरू हो जाता है। उस कंडीशन में पीड़ित जानलेवा निमोनिया से ग्रसित हो जाता है।

2..लक्षण क्या है:- इसकी चपेट में आने पर सर्दी-खांसी-जुकाम-बुखार के साथ ही गले में खरास होती है। ऐसा होने पर लापरवाही हुई तो वायरस फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। उस दशा में सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने से दूसरे अंग प्रभावित होने लगते हैं। कमजोरी, छींके आना सा​थ तेज बुखार आता है।

3.. बचाव क्या है:-स्वाइन फ्लू कोरोना की तरह ड्राप लेट इंफेक्शन है, इसलिए इससे बचाव का सबसे पहला उपाय मास्क लगाने से हैं। इससे संक्रमित के खांसने या छींकने से वायुमंडल में मौजूद वायरस मास्क यूज करने वाले तक नहीं पहुंचता है। आगे भीड़ में जाने से बचने, बार-बार हाथ की सफाई करते रहने से इस बीमारी से बच सकते हैं।