मां बोली- रिश्ता टूटने से नशा करने लगा था पीयूष:रायपुर में भाई पर किए दो फायर....

रायपुर. रायपुर के सफायर ग्रीन हत्याकांड में जवान बेटे को खो चुकी मां का बयान सामने आया है। उनके मुताबिक शादी टूटने से पीयूष नशे का आदी हो चुका था। नशे वो प्रेमिका से बात करता और झगड़ता, फिर इसका गुस्सा वो परिवार वालों पर उतारता था। घटना वाले दिन पीयूष इतने गुस्से में था कि उसने भाई पर दो फायर किए। एक गोली बिस्तर पर लगी। दूसरी गोली पराग की कनपटी में लगी और उसकी मौके पर मौत हो गई।
छोटे भाई के हत्यारे बेटे पीयूष से मिलकर मां शांता ने कहा कि अब पड़ गई तेरे दिल को ठंडक। उनके मुताबिक पराग को पहले से डर था। पीयूष उसे गुस्से में कभी भी मार देगा। नशे में वह हमेशा पराग को मारने की कोशिश करता था। इसलिए रात में हमेशा डरा रहता था। वह जींस पहनकर ही सोता था, ताकि भाई झगड़ा शुरू करे और वह भाग निकले।
रविवार को सफायर ग्रीन फेज-2 कॉलोनी में करोड़पति बिजनेसमैन पीयूष झा ने अपने छोटे भाई पराग के सिर में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। सोमवार को पुलिस ने पराग के शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर उसे मां शांता को सौंप दिया। मां शव के पास रोती रही। वो रिश्तेदारों से भी फोन पर बात करतीं, तो पुरानी यादें दोहराने लगतीं। पीयूष, पराग और उनकी मां शांता घर में बस यही 3 लोग रहते थे।
अकेले ही अस्पताल और थाने के चक्कर काटती रही मां
रायपुर में उनके पिता का कोई भी रिश्तेदार नहीं रहता, इसी वजह से एक बेटे की हत्या और दूसरे की गिरफ्तारी के बाद घर में उनकी मां अकेली रह गई है। वो अकेले ही अस्पताल और थाने का चक्कर काटती रहीं।अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के दौरान केवल दो पड़ोसी महिलाएं साथ थीं। दोपहर बाद पराग के दो दोस्त आए थे।
मां से बात कर दी थी बंद
एयरोनॉटिकल इंजीनियर पीयूष झा शादी टूटने के बाद से ही तनाव में रहने लगा था। नशे का आदी होने के साथ ही वो छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होकर झगड़ने लगता था। पीयूष की उसकी प्रेमिका के साथ इसी साल शादी होने वाली थी। लेकिन मां चाहती थी कि सारी चीजें ठीक होने और खुद का घर होने के बाद शादी हो। मां ने लड़की के परिवार वालों से शादी की तारीख आगे बढ़ाने की बात कही थी। ये बात पता चलने के बाद पीयूष ने अपनी मां से भी बातें करना कम कर दिया था। वह कई-कई दिनों तक उन्हें फोन तक नहीं करता था।
घर को मनहूस कहकर होटल में रहता था पीयूष
पीयूष का परिवार अविनाश कैपिटल होम के किराये के मकान में रहता था । पिता और दादी की मौत के बाद वह घर को मनहूस मानता था। वह कहता था इस घर में नेगेटिव एनर्जी है, इसलिए वो घर रहने के बावजूद होटल में रहने चला गया। यहां रोज एक हजार रुपए देकर वह होटल में रहता था। बाद में मां ने समझाया और कहा कि इससे अच्छा तो अलग जगह मकान ले लेते हैं। मां के कहने पर ही उसने सफायर ग्रीन फेज 2 में मकान किराए पर लिया था।
सफायर ग्रीन में किराए का मकान लेने के बाद पीयूष पहले खुद वहां शिफ्ट हुआ उसके बाद छोटा भाई पराग भी वहीं चला गया। दोनों भाई वहां साथ रहते थे। मां शांता अविनाश कैपिटल में किराए के मकान में रहती थी और खाना बनाकर भेजती थी। सफायर ग्रीन और अविनाश कैपिटल की दूरी ज्यादा नहीं है। 10 मिनट में ही सर्वेंट पहुंच जाता था। शांता ने बताया कि अगले महीने पीयूष और पराग के पिता की बरसी है। पीयूष ने कहा था कि पिता की बरसी होने के बाद कैपिटल होम का मकान छोड़ देंगे।
मर्सिडीज में घूमता था अरोपी
पीयूष झा लग्जरी लाइफ का शौकीन था। बिजनेस में डूबे पैसे मिलने पर उसने मर्सिडीज खरीद ली और शादी टूटने के बाद भी वह अपनी प्रेमिका के साथ उसी में घूमता था।