हाईकोर्ट बोला-पत्नी के साथ अननेचुरल सेक्स अपराध नहीं, कहा- सहमति नहीं फिर भी रेप का आरोप नहीं लगा सकती

हाईकोर्ट बोला-पत्नी के साथ अननेचुरल सेक्स अपराध नहीं, कहा- सहमति नहीं फिर भी रेप का आरोप नहीं लगा सकती

बिलासपुर (ए)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार पति-पत्नी के संबंधों को लेकर अहम फैसला सुनाया। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने कहा है कि अननेचुरल सेक्स करने पर भी पत्नी अपने पति पर रेप या अप्राकृतिक कृत्य करने का आरोप नहीं लगा सकती। जब तक वह नाबालिग न हो। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने पत्नी के साथ रेप और अननेचुरल सेक्स के आरोपी पति को बरी करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि उसे तत्काल रिहा किया जाए।

इस दौरान कार्यपालिक मजिस्ट्रेट से पीड़िता का मृत्युपूर्व बयान दर्ज कराया गया, जिसमें महिला ने कहा कि वह अपने पति द्वारा जबरदस्ती किए गए यौन संबंध के कारण बीमार पड़ गई। बाद में इलाज के दौरान उसी दिन उसकी मौत हो गई। उसके इस बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ धारा 376 व 377 के तहत केस दर्ज कर लिया।

आरोपी पति को ट्रायल कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा- इस मामले में ट्रायल चला, तब कोर्ट ने आरोपी पति को धारा 377, 376 और 304 यानी की गैरइरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया। जिसके बाद आरोपी पति को ट्रायल कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरोपी पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने ऐसे मामलों में पत्नी की सहमति को कानूनी रूप से महत्वहीन बताया। साथ ही कहा कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है और पति उसके साथ संबंध बना रहा है तो इसे रेप नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि अप्राकृतिक संबंध के लिए पत्नी की स्वीकृति जरूरी नहीं है। इसलिए आरोपी पर अपराध का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि धारा-375 के तहत अपराधी के तौर पर पुरुष को वर्गीकृत किया गया है। इस केस में आरोपी पति है और पीड़िता उसकी पत्नी थी। संबंध बनाने के लिए शरीर के उन्हीं हिस्सों का उपयोग किया गया, जो सामान्य हैं। इसलिए पति-पत्नी के बीच ऐसे संबंध को अपराध नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि स्पष्ट है कि यदि पत्नी की आयु 15 वर्ष से कम नहीं है, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किया गया कोई भी यौन संबंध या यौन कृत्य इन परिस्थितियों में बलात्कार नहीं कहा जा सकता। क्योंकि ऐसे अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति की अनुपस्थिति अपना महत्व खो देती है। इस वजह से यह आईपीसी की धारा 376 और 377 के अंतर्गत अपराध नहीं बनता।