29 जून को है देवशयनी एकादशी, पूजा के समय पढ़ें व्रत कथा, पापों से मिलेगी मुक्ति, सिद्धियों की होगी प्राप्ति

देवशयनी एकादशी 29 जून बृ​हस्पतिवार को है. एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ शुक्ल एकादशी की व्रत विधि और महत्व के बारे में पूछा. भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को पद्मा एकादशी कहते हैं. इसे देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है. देवशयनी एकादशी व्रत की कथा इस प्रकार है.

29 जून को है देवशयनी एकादशी, पूजा के समय पढ़ें व्रत कथा, पापों से मिलेगी मुक्ति, सिद्धियों की होगी प्राप्ति

इस बार देवशयनी एकादशी 29 जून बृ​हस्पतिवार को है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. इस व्रत को करने से पाप मिटते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ शुक्ल एकादशी की व्रत विधि और महत्व के बारे में पूछा. तब श्रीकृष्ण ने बताया कि नारद जी ने भी इस व्रत के बारे में ब्रह्म देव से पूछा था तो उन्होंने कहा था कि यह व्रत सभी एकादशी में अच्छा माना जाता है क्योंकि इस व्रत को करने से कलयुग में रहने वाले जीवों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है, जो इस व्रत को नहीं करता है, वह नरक में जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को पद्मा एकादशी कहते हैं. इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए इसे देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है. देवशयनी एकादशी व्रत की कथा इस प्रकार है.

देवशयनी एकादशी व्रत कथा
सूर्यवंश में एक महान प्रतापी और सत्यवादी राजा मांधाता थे. वे एक चक्रवर्ती राजा थे. वे अपनी प्रजा की सेवा अपनी संतान की तरह करते थे. सब कोई खुशहाल था. लेकिन एक बार लगातार 3 साल तक उनके राज्य में वर्षा नहीं हुई, जिसके कारण अन्न नहीं हुआ और अकाल पड़ गई. भोजन के साथ ही यज्ञ आदि के लिए भी अन्न नहीं था.

प्रजा अपने राजा के पास आकर इस अकाल से निपटने का आग्रह करती. लेकिन राजा भी विवश थे. उनसे अपनी प्रजा का हाल देखा न गया. एक दिन वे सेना लेकर जंगल में निकल पड़े. वे कई ऋषि और मुनि के आश्रम में गए. काफी दिनों के बाद वे ब्रह्म देव के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में गए. अंगिरा ऋषि को प्रणाम करके राजा ने आने का प्रयोजन बताया. 

राजा ने अंगिरा ऋषि से कहा कि अकाल के कारण उनके राज्य में हाहाकार मचा हुआ है. प्रजा अन्न और भोजन के लिए व्याकुल है. वर्षा न होने के कारण फसल नहीं हो रही है. आप इस संकट से बाहर निकलने का कोई उपाय बताएं.

तब अंगिरा ऋषि ने कहा ​कि हे राजन! इस संकट से निकलने का सबसे उत्तम उपाय है कि तुम आषाढ़ शुक्ल एकादशी को पद्मा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करो. इसके पुण्य प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी. जिससे खुशहाली आएगी, प्रजा सुखी होगी और अन्न का संकट खत्म होगा. यह एकादशी व्रत करने से सभी प्रकार के उपद्रव शांत हो जाते हैं और सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. इस व्रत को तुम अपनी पूरी प्रजा और मंत्रियों के साथ करो.