अंबेडकर अस्पताल में मोतियाबिंद के मरीज को ऑपरेशन थियेटर से निकाला,जांच शुरू

अंबेडकर अस्पताल में मोतियाबिंद के एक मरीज को नेत्र विभाग के ऑपरेशन थियेटर से बाहर निकाल दिया गया। सर्जरी के ठीक पहले अचानक बाहर निकालने से दुखी मरीज ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से मिलकर शिकायत कर दी। उसके बाद बवाल मच गया।
स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल अधीक्षक डा. बीपी नेताम से फोन पर बात की और पूरे प्रकरण की जांच के निर्देश दिए। स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत के बाद नेत्र विभाग के प्रशासनिक अमले में हलचल मची है। नेत्र विभाग में अक्सर मरीजों को एक-दो दिन भर्ती रखने के बाद ऑपरेशन कैंसिल कर दिया जाता है। पहली बार स्वास्थ्य मंत्री तक शिकायत पहुंची है।
ताजा मामले में स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद मरीज प्रशांत नायक से संपर्क कर बुधवार को उन्हें अस्पताल बुलाया गया। अब गुरुवार को उनका ऑपरेशन किया जाएगा। पड़ताल में पता चला है कि प्रशांत नायक रायपुर के रहने वाले हैं। वे मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने अंबेडकर अस्पताल पहुंचे थे। वार्ड में जांच के बाद डाक्टरों ने उन्हें सर्जरी के लिए भेज दिया।
ऑपरेशन के ठीक पहले उन्हें कहा गया कि उनके दस्तावेज और जांच पूरी नहीं हुई है। ऐसी दशा में उनका ऑपरेशन नहीं किया जा सकता। प्रशांत नायक का पूरा परिवार ऑपरेशन की तैयारी कर चुका था। उन्होंने कई बार कहा कि उनकी सभी जांच पूरी हो चुकी है।
उन्हें डाक्टरों ने ही ऑपरेशन के लिए भेजा गया है। इसके बावजूद उनका ऑपरेशन नहीं किया गया। स्वास्थ्य मंत्री का फोन आने के बाद अस्पताल अधीक्षक ने नेत्र विभाग के सीनियर डाक्टरों और एचओडी को बुलाकर पूरी जानकारी ली। उन्हें लिखित में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
अस्पताल अधीक्षक को नेत्र विभाग के डाक्टरों ने तर्क दिया है कि मरीज की सभी जरूरी जांच नहीं की गई थी। ऑपरेशन के पहले जो प्रोटोकॉल किए जाने चाहिए, उसका भी पालन नहीं किया गया। इस वजह से सर्जरी टाली गई। विशेषज्ञों का कहना है कि ऑपरेशन थियेटर तक मरीज को तभी भेजा जाता है, जब सर्जरी के सारे प्राेटोकॉल पूरे कर लिए जाएं। ऐसी दशा में अगर प्रशांत नायक को बिना जांच ऑपरेशन थियेटर तक ले जाया गया था तो ये और भी घातक है। किसी भी मरीज को बिना जरूरी जांच के कैसे ऑपरेशन थियेटर के भीतर तक ले जाया जा सकता है।
अंबेडकर अस्पताल के नेत्र विभाग में अचानक सर्जरी टालने की कई शिकायतें हैं। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए दूर दराज के गांव से आने वाले मरीजों को ओपीडी में जांच के बाद भर्ती कर लिया जाता है। सर्जरी का दिन भी बता दिया जाता है। उसके बाद अचानक ही ऑपरेशन टाल दिए जाते हैं। इससे मरीजों को परेशान होना पड़ता है।