अवैध प्लॉटिंग पर चला निगम का बुलडोजर:नाली और सीसी रोड उखाड़ी गई, बिल्डिंग अफसर बोले- FIR करेंगे दर्ज

सत्ता परिवर्तन के बाद से ही बिलासपुर जिला प्रशासन ने अवैध प्लॉटिंग से लेकर सड़कों पर पार्किंग खाली कराने, अवैध निर्माण, चखना सेंटरों पर बुलडोजर चलवाने की कार्रवाई तेज कर दी है। बिलासपुर मुख्यालय में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन अवैध प्लॉटिंग पर कार्रवाई की गई।
गुरुवार को सोनगंगा कॉलोनी के पीछे शताब्दी नगर में खसरा नंबर 124 की सवा एकड़ भूमि पर अवैध प्लॉटिंग के लिए बनाई गई नाली, सीसी रोड उखाड़ दी गई। बिल्डिंग अफसर सुरेश शर्मा ने बताया कि नगर निगम कमिश्नर कुणाल दुदावत के निर्देश पर ये कार्रवाई की गई। भूस्वामी ने बिना ले आउट और डायवर्जन के अवैध प्लॉटिंग के रोड और नाली तैयार की थी। नगर निगम, संयुक्त संचालक, नगर और ग्राम निवेश से इसकी अनुमति नहीं ली गई थी। उन्होंने कहा कि भूस्वामी सत्यानंद पटेल को कॉलोनाइजर लाइसेंस और पंजीयन के दस्तावेज पेश करने के लिए कहा गया है। सही दस्तावेज नहीं मिलने पर उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।
साल 2019 में नगर निगम सीमा का विस्तार कर 18 पंचायतों को नगर निगम में शामिल किया गया। पंचायतों के नगर निगम में शामिल होने की प्रक्रिया के दौरान ही पंचायत क्षेत्रों में अवैध प्लॉटिंग का गोरखधंधा तेजी से शुरू हुआ, जो अब तक चल रहा है। नगर निगम की कार्रवाई पर्याप्त नहीं कही जा सकती। कारण निगम में शामिल होने वाले हरेक पंचायत क्षेत्र में बीसियों की संख्या में अवैध प्लॉटिंग हो रही है, लेकिन निगम द्वारा अब तक 250 लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है, जबकि अवैध प्लॉटिंग करने वालों की संख्या इससे कई गुना अधिक है।
जिन क्षेत्रों में अवैध प्लॉटिंग का गोरखधंधा तेजी से चल रहा है, उनमें मोपका, चिल्हाटी, बिजौर, बहतराई, सिरगिट्टी, उस्लापुर, मंगला, घुरु-अमेरी प्रमुख हैं। नगर निगम के अतिक्रमण निवारण दस्ते ने बृहस्पति बाजार में पार्किंग की जगह पर दुकान लगाने वालों के खिलाफ जब्ती की कार्रवाई की। वहीं जिला कोर्ट, मंगला चौक, उस्लापुर रोड तक फुटपाथ पर अवैध रूप से ठेला, दुकानें लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
भवन अधिकारी की मानें, तो साल 2020 से अब तक अवैध प्लॉटिंग के 250 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से 20 लोगों के खिलाफ थानों में FIR दर्ज की जा चुकी है। वहीं 77 कॉलोनाइजरों से विकास शुल्क लेकर उनकी कॉलोनियों की मार्ग संरचना निर्धारित की गई। इससे नगर निगम को करीब 60 लाख रुपए का विकास शुल्क मिला।