घरेलू सिलेंडरों का अनियंत्रित वाहनों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के उपयोग पर रोक लगाए

सरकार को करो का नुकसान और धमाका होने कि संभावना

रायपुर।  व्यवसायिक सिलेंडरो के अनाप-शनाप दाम बढ़ने के कारण व्यवसायिक प्रतिष्ठानों ने 14.2 किलो के घरेलू सिलेंडरों का उपयोग शुरू कर दिया है। कई जगहों पर तो सीधे 19 किलो के व्यवसायिक सिलेंडर में 14.2 किलो के घरेलू सिलेंडर की गैस पलटी की जा रही है। इतना ही नहीं तो वाहनों में भी अब घरेलू सिलेंडरों का भी उपयोग हो रहा है। यह एक गंभीर समस्या है, सिलेंडरों के अवैध उपयोग से किसी दिन बड़ा धमाका होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।इसका सबसे बड़ा कारण है कि बाजार में थोड़े अधिक पैसे देने पर घरेलू सिलेंडर आसानी से ब्लैक में मिल जाता है।

कुछ गैस एजेंसियां तो डमी ग्राहकों के नाम पर तेल कंपनियों से ज्यादा सिलेंडर खरीदकर कालाबाजारी कर रहीं है। एक ओर घरेलू गैस के दाम बढ़ने के कारण सामान्य और गरीब लोग संभाल कर गैस सिलेंडर का उपयोग कर रहे हैं। फिलहाल एक परिवार दो से तीन माह तक एक सिलेंडर का उपयोग कर रहा है। तेल कंपनियों ने मार्केटिंग का नया पैंतरा चला कर ग्राहकों के नाम पर ऑटो बुकिंग करके डीलरों के माध्यम से उनके घर तक पहुंचाना शुरू कर दिया है। सिलेंडर बुक ना करने के कारण ग्राहक वह सिलेंडर नहीं लेते, और फिर ऐसे सिलेंडरों को ब्लैक में बेचा जाता है। इस तरीके से गैस एजेंसियां सिलेंडर की कालाबाजारी कर रही हैं। थोडे से पैसों के लिए एलपीजी गैस वाहनों में भर कर कुछ लोग अपनी और दूसरों की जान धोखे में डाल रही हैं।

एक टिल्लू पंप और सामान्य पाइप की मदद से एलपीजी गैस वाहनों में डाली जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कितनी गैस भरी गई है यह देखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कांटे का इस्तेमाल किया जाता है। व्यवसायिक सिलेंडर की तुलना में घरेलू सिलेंडर के दाम कम होते हैं, लेकिन फिर भी भविष्य में वाहनों में घरेलू सिलेंडर की एलपीजी भरना महंगा हो सकता है। घरेली सिलेंडर घर पर खाना बनाने के उद्देश्य से तैयार किए जाते हैं। इसमे कम दबाव पर गैस भरी जाती है। इस गैस का इस्तेमाल वाहनों में करने से पिकअप पर असर होता है। साथ ही वाहनों की किट में कार्बन जमा होकर उसका परिणाम इंजन पर होने की संभावना होती है। इससे इंजन खराब भी हो सकता है। 
  काउंसिल फाॅर प्रोटेक्शन आफ राइट्स ग्राहक भारती के स्वंयसेवी संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष बैरिस्टर श्री विनोद तिवारी जी के आदेशानुसार रायपुर छत्तीसगढ मे आयोजित पत्रकार परिषद मे युवा उपाध्यक्ष नितीन सोलंकी इन्होने व्याख्यान दिए।
 गैस सिलेंडर लेते वक्त बरतें सावधानी।  
> घरेलू सिलेंडर लेते वक्त उसकी सील साबूत है, यह सुनिश्चित कर लें।
> खाली और भरे हुए सिलेंडर का वजन जांच लें।
> शैंपू या साबून का पानी डाल कर सिलेंडर लीक है क्या यह चेक कर लें।
> सिलेंडर उठाने के लिए दी गई जगह पर तीन पटि्टयां होती है। उनमें से एक पट्‌टी पर सुरक्षा जांच का वर्ष लिखा होता है। उदा. A-30,B-30,C-30,D-30  (A -Jan to March .B-April to Jun. C –July to Sub. D – Oct to Dec )
गरीब और सामान्य जनता को मिलने वाली सब्सिडी बंद होगी क्या?
वर्ष 2018 में घरेलू सिलेंडर पर 400 रूपए सब्सिडी मिलती थी। साल भर में इसमें कटौती होकर यह 200 रूपए हो गई। इसके बाद कोरोना काल में अनेक लोगों के खातों में सब्सिडी जमा ही नहीं हुई। आज ऐसी स्थिति है कि कभी 40.10 रूपए तो कभी 35.10 रूपए ऐसी सब्सिडी जमा होती है। अब आगे की स्थिति कैसी होगी, कोई नहीं जानता।
ग्राहकों के हक का सिलेंडर व्यवसायियों और असामाजिक तत्वों के पास
ग्राहकों के हक वाले 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगती है, तो व्यवसायिक सिलेंडर पर 18 प्रतिशत। घरेलू सिलेंडर व्यवसायिक उपयोग के लिए लिया तो सीधे 13 प्रतिशत जीएसटी की चोरी होती है। ऐसे जीएसटी की चोरी करके सरकार को करोड़ों रूपए का चूना लगाया जा रहा है। इसे फौरन रोकने की जरूरत है।
उज्जवला योजना के सिलेंडर का दुरूपयोग
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना बहुत अच्छी है और इसका स्वागत होना चाहिए। ग्रामीण और गरीब जनता को शुरुआत में इसका कुछ फायदा भी हुआ। लेकिन अब सिलेंडर के दाम 800 रूपए के करीब पहुंचने से लाभार्थी एक सिलेंडर तीन महिने इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में एजेंसियां खुद ही बुकिंग करके कालाबाजारी करती हैं। अब यह योजना गरीबों की है या कालाबाजारी करने वालों की, यह सवाल खड़ा हो गया है।हमारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन है कि उज्जवला योजना के लिए पात्र लाभार्थियों को ही इसका लाभ होना चाहिए। एक गरीब मजदूर 800 रूपए का सिलेंडर नहीं खरीद सकता। ऐसे में सरकार को इंडोनेशिया का आदर्श अपने सामने रखना चाहिए। वहां गरीबों को 2,3, 5 या 10 किलो का सिलेंडर दिया जाता है। हम भी उज्जवला योजना के माध्यम से भिन्न रंगों के वाल्व समेत 2,3, 5 या 10 किलोके सिलेंडर लाभार्थियों को दिए तो वो उनके लिए किफायती होगा और कालाबाजारी भी कम होगी।
महाराष्ट्र में तीन महिनों में तीन बड़े ब्लास्ट
महाराष्ट्र में बीते तीन महिनों में तीन बड़े जिलों में तीन सिलेंडर ब्लास्ट की घटनाएं ताजी है। 21 मार्च 2022 को पुणे के कात्रज क्षेत्र में सुंधामाता दुग्ध मंदिर के पास सिलसिलेवार 25 छोटे सिलेंडर में ब्लास्ट हुआ। बड़े  सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस पलटी करते वक्त बड़ा ब्लास्ट हुआ। इसमें जीव हानी हुई और अनेक लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए।  इस विस्फोट में सामान को हुए नुकसान का अब तक मूल्यंाकन नहीं किया गया है। दूसरी घटना 25 अप्रैल 2022 को अमरावती जिले के परतवाडा के 28 हजार की जनसंख्या वाले कांडली, दत्तरनगर क्षेत्र में  श्रीराम गैस गोदाम के पास अवैध रूप से रखे जाने वाले गैस सिलेंडर में विस्फोट होने से झोपड़ी में आग लग गई। इसमें 8 सिलेंडरों में विस्फोट हुआ। श्रीराम गैस गोदाम के मालिक ने अपनी ही खाली जमीन पर टिन का शेड की झोपडी बना कर वहां अवैध रूप से गैस रिफिलिंग का काम शुरु किया था।तीसरी घटना तो बिलकुल नजदीक की है। 9 मई 2022 को नागपुर के बेलतरोड़ी के महाकाली नगर की झोपडपट्टी में  56 सिलेंडरों में ब्लास्ट हुआ और 77 झोपडियां जल कर खाक हो गई। अनेकों के संसार उजड़ गए, कपड़े, पैसे, बच्चों के खिलौने और अन्य वस्तुओं को जलता देख अग्निशमन दल के भी रोंगटे खड़े हो गए। इसी झोपडपट्‌टी में बेलतरोड़ी पुलिस ने कुछ दिनों पूर्व अवैध रूप से जारी गैस रिफिलिंग कर रहे लोगों को रंगे हाथों पकड़ कर मामला दर्ज किया था।  लेकिन इसके बाद भी अवैध गैस रिफिलिंग जारी रही और परिणाम स्वरूप कुछ दिनों बाद बस्ती में इतना बड़ा विस्फाेट हुआ। बीते तीन महिनों में महाराष्ट्र में अवैध सिलेंडर के उपयोग के कारण बड़े विस्फोट हुए और जन सामान्य का नुकसान हुआ।
शासन प्रशासन को जागने की जरूरत
ऐसी घटनाओं से नागरिकों में भय का वातावरण है। अवैध रूप से गैस रिफिलिंग होने के पूर्व ही शासन प्रशासन को जागने की जरूरत है। अवैध एलपीजी का उपयोग करने वालों को अब रोकना ही होगा। साथ ही राज्य के विविध क्षेत्र में हुए एलपीजी सिलेंडर धमाकों की उच्च स्तरीय जांच करके दोषियों को कड़ी सजा होनी चाहिए। साथ ही राज्य के सभी IOCL,BPCL,HPCL कंपनियों की एजेंसियों का थर्ड पार्टी ऑडिट किया जाना चाहिए। IOCL,BPCL,HPCL कंपनियों के ग्राहकों का हर साल केवायसी किया जाना चाहिए। जिन ग्राहकों ने केवायसी किया है, उनके पंजीकृत मोबाईल नंबर पर बुकिंग करने के बाद ओटीपी आना चाहिए। सिलेंडर डिलिवरी करते वक्त ओटीपी डालने पर ही बिल जनरेट हो, ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। डीएसी याने डिलिवरी ऑथेंटिकेशन कोड लागू करके इसका सख्ती से पालन होना जरूरी है। सरकार ने इस ओर ध्यान दिया तो निर्दोष लोगों की बलि नहीं चढ़ेगी।
कठोर सजा का प्रावधान हो
घरेलू सिलेंडर का दुरुपयोग करने पर जीवनावश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 व 7 के अनुसार मामला दर्ज करके 6 माह की जेल या 20 हजार रूपए जुर्माने का प्रावधान जरूर है। अवैध रूप से सिलेंडर का उपयोग रोकने के लिए 18 अधिकारियों के पास अधिकार है। ऐसा होने पर भी घरेलू सिलेंडर के दुरूपयोग के मामले रोकने में सफलता नहीं मिल रही, उलट ये मामले बढ़ रहे हैं। सरकारी राजस्व की, जन सामान्य की और संपत्ति का नुकसान हो रहा है, इसका ध्यान रखना चाहिए। इसलिए अवैध सिलेंडर के उपयोग पर 5 वर्ष की जेल और 1 लाख रूपए जुर्माने का कठोर प्रावधान हो, यह हमारी मांग है। जिससे घरेलू सिलेंडर का दुरूपयोग करने वालों में डर पैदा होगा।
नागरिकों से अपील
हमारी नागरिकों से यहीं अपील है कि हमें तुरंत जागरुक होना होगा। नागरिकों को ऑटोरिक्शा, कार या अन्य वाहनों में अवैध रूप से घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग करने वालों को इसका नुकसान बताने होंगे। कोई भी अनियमितता होती दिखें तो पुलिस व अन्न आपूर्ति विभाग को सूचित करें। तब ही बड़ी हानि को टाला जा सकता है। जागरुक नागरिक इसमें बड़ी संख्या में सहभागी हो सकते हैं। इस पत्रकार परिषद मे नितीन सोलंकी,  शुभम रंगारी यह उपस्थित थे।