सुरडुंग जामुल में रुद्र महायज्ञ का भव्य आयोजन 21 अप्रैल से, जगद्गुरु शंकराचार्य यदुनंदन सरस्वती जी के सान्निध्य में

धर्म, एकता और विश्व कल्याण के लिए दूसरी बार ऐतिहासिक अनुष्ठान; देशभर से पहुंचे संत-महात्मा, विद्वान और रसिकजन

दुर्ग/जामुल। राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक अखंडता और विश्व कल्याण के उद्देश्य से सुरडुंग-जामुल की पावन धरती पर एक बार फिर ऐतिहासिक रुद्र महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन 21 अप्रैल 2025 से 27 अप्रैल 2025 तक होगा, जिसका दिव्य संचालन जगद्गुरु शंकराचार्य पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित श्री स्वामी यदुनन्दन सरस्वती (ब्रह्मचारी जी महाराज) के पावन सान्निध्य में किया जाएगा। 1991 में सहस्त्र चंडी महायज्ञ के बाद यह दूसरी बार होगा जब सुरडुंग-जामुल जैसी पुण्यभूमि पर इतना विराट धार्मिक आयोजन संपन्न होगा।

इस महायज्ञ में देश के विभिन्न भागों से प्रतिष्ठित शंकराचार्यगण, वेदपाठी विद्वान, संत-महात्मा, रासलीला कलाकार, और शास्त्रज्ञ विद्वानों का सान्निध्य प्राप्त होगा। प्रमुख रूप से आमंत्रित विद्वानों में प्रयागराज के वैष्णव पीठाधीश्वर गरुण जी महाराज, पुरी गोवर्धन पीठाधीश्वर अधोक्षजानंद तीर्थ जी महाराज, सुमेरू पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती जी, राम प्रसन्नाचार्य जियर स्वामी, प्रो. प्रज्ञा मिश्रा (कानपुर), साध्वी लक्ष्मी रामायणी (झांसी), महंत माधोदास जी (चित्रकूट) शामिल हैं।

महायज्ञ के सफल संचालन हेतु काशी से राजीव नयन उपाध्याय, वृंदावन से आचार्य कुंजबिहारी तथा ब्रजमंडल और अन्य तीर्थों से वेद-पाठी आचार्यों का दल उपस्थित रहेगा।

???? आयोजन की प्रमुख विशेषताएँ:

  • 21 अप्रैल को प्रातः भव्य कलश शोभायात्रा का आयोजन
  • प्रातः 5 बजे से यज्ञ कार्य प्रारंभ, दोपहर में शास्त्रार्थ, प्रवचन
  • सायं 6 बजे आरती और पुष्पांजलि, तत्पश्चात रात्रि 8 बजे रासलीला
  • यज्ञ के दौरान देश के विशिष्ट राजनेता, संत, व्यवसायी और श्रद्धालु गण आशीर्वाद हेतु उपस्थित रहेंगे।
  • विशेष समस्या समाधान हेतु श्रद्धालु यज्ञ स्थल पर उपस्थित होकर यज्ञ सूत्र से संपर्क कर सकते हैं।
  • आस्था और संस्कृति का यह महासंगम धर्मप्रेमियों के लिए अमूल्य अवसर है।