दुर्ग एसपी शलभ सिन्हा ने युवाओं को दी टिप्स:कहा- सपने ऊंचे देखिए और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करिए, वो खुद वही करते हैं

दुर्ग. दुर्ग जिले के नए एसपी आईपीएस शलभ सिन्हा का जिले में बेसिक पुलिसिंग पर अधिक ध्यान रहेगा। उनका कहना है कि बेसिक पुलिसिंग अगर अच्छी हो गई तो कम्युनिटी पुलिसिंग अपने आप अच्छी हो जाएगी। जिले के युवाओं को उन्होंने कहा कि हमेशा ऊंचे सपने देखना चाहिए और उसे पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत भी करनी चाहिए। वो खुद इसी फंडे पर चलते हैं और यूपीएससी क्रैक किया।
उन्होंने बताया कि दुर्ग जिला उनके लिए अनजान नहीं है। साल 2016 में वो यहां बतौर ट्रेनी ऑफिसर काम कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि तब के दुर्ग और आज के दुर्ग में काफी बड़ा अंतर आ गया है। यहां का आवादी, पुलिस थानों सहित कई चीजें बढ़ गईं हैं। इसलिए वो दुर्ग जिले की भौलिक स्थिति को समझने के साथ ही अपनी को भी समझूंगा। उन्होंने कहा कि वो हर एक थाने की सर्प्राइज विजिट करेंगे। वहां की व्यवस्था का जायजा लेंगे। इसके बाद जब वो अपनी टीम को समझ जाएंगे तो बेहतर पुलिसिंग पर फोकस करेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में दुर्ग और बिलासपुर काफी बड़ो शहर हैं। उनका सौभाग्य यह रहा कि उन्होंने दोनों जिलों में काम किया। बिलासपुर में तो उन्होंने टेरर फंडिग पर बेहतर कार्य किया था। एनआईए के साथ मिलकर काश्मीर तक आरोपी को पकड़ने गए। उन्होंने कहा कि दुर्ग जिला राजनीतिक, शैक्षणिक और अन्य दृष्टकोड़ के काफी बड़ा है। यहां वो बेहतर पुलिसिंग करेंगे।
साधारण परिवार से हैं शलभ सिन्हा
आईपीएस सिन्हा ने खास बातचीत में बताया कि वो सामान्य परिवार से हैं। उनके पूरे परिवार से वो पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिसने यूपीएससी की परीक्षा पास की है। वो बिहार के रहने वाले हैं। उनके दादा योगेंद्र प्रसाद सिन्हा जशपुर जिले के बगीचा में शिक्षक बनकर आए थे। इसके बाद पिता समद कुमार सिन्हा की एसईसीएल विश्रामपुर में जॉब लग गई। वहां से ट्रांसफर होने के बाद पिता कोरबा आ गए। शलभ ने 12वीं तक की शिक्षा कोरबा से ली। इसके बाद आरआईटी रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिग्री ली। यहां से कैंपस सेलेक्शन लेकर उन्होंने साल 2006 से 2010 तक चार साल बालको में जॉब की। इसी दौरान उनका मन सिविल सेवा में जाने का हुआ और जॉब से रिजाइन देकर वो दिल्ली चले गए। पहले अटेम्ट में सफलता न मिलने के बाद दूसरे अटेम्ट में इंटरव्यू और फिर तीसरे निराशा हाथ लगी। लेकिन शलभ ने हार नहीं मानी। पूरी लगन से महनत की और चौथे अटेम्ट आईपीएस सेलेक्ट हुए।
राजधानी की लड़की से हुआ प्यार और फिर की शादी
शलभ सिन्हा की शादी रायपुर की रहने वाली जाह्नवी पाण्डेय से हुई। शलभ और जाह्नवी दिल्ली में एक साथ यूपीएससी की कोचिंग करते थे। वहां से आने के बाद दोनों की मुलाकात हुई। इसके बाद उन्होंने लव मैरिज की। इनकी एक तीन साल की बेटी अमायरा है। माता पिता अंबिकापुर में रहते हैं। छोटे भाई सजल सिन्हा एमबीए और इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कनाडा में शिफ्ट हो गए हैं।
शलभ सिन्हा नक्सली क्षेत्र में एएसपी और एसपी दोनों पदों पर काम कर चुके हैं। उन्हें वहां का काफी लंबा अनुभव है। उनका कहना है कि नक्सली वहां आम लोग, जो ब्रेन वाश का शिकार हो गए हैं। उन्होने बताया कि पुराने बस्तर क्षेत्र नक्सलवाद आया है। जब बस्तर पूरा एक जिला हुआ करता है। उस समय काफी ऐसे क्षेत्र थे जहां पुलिस व प्रशासन पहुंच नहीं पाता था। ये लोग ऐसे क्षेत्रों पहुंचे और वहां रहने लगे। धीरे-धीरे वहां के लोगों का ब्रेन वाश किया। उनकी मदद की। सुख दुख का साथी बने। जब वहां के लोग उनसे जुड़ गए तो नक्सली गतिविधिया शुरू कर दीं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के मूल मंत्र दिया है। उसी पर पुलिस काम कर रही है। सीएम ने बस्तर के लिए विश्वास विकास और सुरक्षा की बात कही हैं। वो कहते हैं कि लोगों का विश्वास जीतिए, उनके विकास के लिए काम करिए और उन्हें सुरक्षा मुहैय्या कराइये। ऐसा करने से अब वहां विकास हो रहा है। लड़के बन रही हैं। शासन प्रशासन की पहुंच वहां तक हो पाई है। अब लोग समझ चुके है कि पहले वो गलत रास्ते में थे। इससे वो फिर से आम जनधारा से भी जुड़ रहे हैं।