7 साल से बेसहारा लोगों का पेट भर रही संस्था:हर दिन 100 से अधिक गरीब करते हैं भोजन, कोई भी नहीं सोता खाली पेट

7 साल से बेसहारा लोगों का पेट भर रही संस्था:हर दिन 100 से अधिक गरीब करते हैं भोजन, कोई भी नहीं सोता खाली पेट

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में 'जन समर्पण सेवा संस्था' शहर के सभी बुजुर्ग और बेसहारा लोगों का 7 सालों से पेट भरती आ रही है। संस्था के लोग रात में भोजन लेकर निकलते हैं। वो हर चौक चौराहों पर बैठे असहाय लोगों को खाना देते हुए दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं। यहां 100 से अधिक लोगों का पेट भरने का काम करते हैं।

टीम ने जब संस्था के संचालक बंटी शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी जन समर्पण सेवा संस्था 1 जनवरी 2017 से अस्तित्व में है। उन्होंने संकल्प लिया है कि शहर में एक भी व्यक्ति भूखे पेट नहीं सोना चाहिए। वो हर दिन यहां के बेसहारा, बुजुर्ग, दिव्यांग और बच्चों को भोजन देने का कार्य करते हैं। बंटी शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था में व्यापारी, समाजसेवी, धार्मिक, नौकरीपेशा और बेरोजगार सभी लोग जुड़े हैं। उनकी मदद से वो हर दिन शाम को 100-150 लोगों का भोजन बनवाते हैं। इसके बाद रात में 8 बजे गंजपारा से भोजन लेकर दुर्ग रेलवे स्टेशन के लिए निकलते हैं। यहां बुजुर्ग, बच्चे और दिव्यांग उनका इंतजार करते हैं।

बंटी शर्मा ने बताया कि पिछले 7 सालों से लगातार वो लोग रात में भोजन लेकर गंजपारा से निकलते हैं। इसके बाद तमेर पारा चौक, पुराना बस स्टैंड, नया बस स्टैंड, अग्रसेन चौक, सहित कई अन्य चौकों पर बैठे दिव्यांगों और आसहाय लोगों को भोजन देते हुए दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं।  दुर्ग रेलवे स्टेशन में रात 8 बजे से 100 से अधिक लोग पंगत लगाकर वीआईपी पार्किंग के पास बैठे रहते हैं। संस्था के लोग वहां आते हैं। बकायदा पत्तल में भोजन परोसते हैं। पानी देते हैं। भोजन करने के बाद गंदगी न हो इसके लिए वो लोग डस्टबिन भी साथ लाते हैं और उसमें पत्तल को भरकर बड़े कूड़ेदान में डालते हैं।

कोरोना काल में भी लगातार बांटे निशुल्क भोजन

संस्था के लोगों का कहना है कि भोजन बांटने का कार्य पिछले सात सालों में एक भी दिन के लिए नहीं रुका। कोरोना काल में भी उन्होंने लोगों को इसी तरह लगातार निशुक्ल भोजन कराया है। इसकी वजह से संक्रमण पर समर्पण हावी रहा और दुर्ग शहर ही नहीं पूरे देश को कोरोना में जीत मिली।

पित्र पक्ष में लोग कराते हैं भोजन

बंटी शर्मा ने बताया कि पित्र पक्ष में लोग दान करते हैं। लोगों को खाना खिलाते हैं। उन्हें एक साथ इतने लोग नहीं मिलते कि वो उन्हें भोजन करा सकें। उनकी संस्था ऐसे लोगों से एक व्यक्ति के नार्मल भोजन की दर से पैसा लेती है। इसके बाद गरीबों को सब्जी, पूड़ी, बड़ा चलेबी जैसे पकवानों के साथ भोजन कराती है। यदि कोई दानदाता नहीं मिला तो संस्था रोटी सब्जी, दाल चावल अपनी तरफ से परोसती है।  भोजन करने आए रमेश निर्मलकर ने बताया कि वो ई-रिक्शा चलाता है। उसकी पत्नी की बीमारी से मौत हो गई है। उसके तीन बेटी और एक बेटा है। तबीयत खराब होने से वो कमा नहीं पाता। इसलिए यहीं आकर बच्चों के लिए भोजन और कुछ पैसे लेकर जाता है। इससे उसके बच्चों का पेट भरता है। एक बजुर्ग महिला ने बताया कि उसके बेटा और बहू ने घर से निकाल दिया। अब रेलवे स्टेशन में ही रहकर संस्था का खाना खाकर जीवन गुजार रही है।