दुनिया को चपेट में लेने के इंतजार में नई महामारी, दवाएं भी बेअसर, एम्‍स की स्‍टडी में दावा

जेपीएनए ट्रामा सेंटर एम्‍स की स्‍टडी कहती है कि विश्‍व भर में बैक्‍टीरिया बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है. पुरानी एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने के चलते बैक्‍टीरिया खतरनाक हो सकता है.

दुनिया को चपेट में लेने के इंतजार में नई महामारी, दवाएं भी बेअसर, एम्‍स की स्‍टडी में दावा

अभी तक कोरोना वायरस जैसी महामारी को देख चुकी दुनिया के लिए नया खतरा पैदा हो गया है. इस बार कोई वायरस नहीं बल्कि बैक्‍टीरिया लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है. खतरे की सबसे बड़ी बात ये है कि अभी तक मौजूद बैक्‍टीरिया के लिए बनाई गईं लगभग सभी पुराने एंटीबायोटिक्‍स अब बेअसर होते जा रहे हैं. एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेजिस्‍टेंट होते जा रहे बैक्‍टीरिया अपने विचित्र मैकेनिज्‍म के कारण अबूझ पहेली बन गए हैं. हालांकि इसी को लेकर दिल्‍ली के ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ट्रामा सेंटर ने स्‍टडी की है.

इस बारे में एम्‍स ट्रामा सेंटर के अध्‍यक्ष डॉ. कामरान फारुकी ने बताया कि एम्‍स की ओर से किए गए अध्‍ययन में पाया गया कि साल 2019 में विश्‍व भर में करीब 12 लाख लोगों की मौत बैक्‍टीरियल संक्रमण की वजह से हुई थी. ये इस प्रकार के बैक्‍टीरिया का हमला था जिन पर किसी भी एंटीबायोटिक दवा का असर नहीं हुआ. ये बैक्‍टीरिया एंटीबैक्टीरियल दवाओं के प्रति रेजिस्‍टेंट हो चुके थे और लगभग बग बन गए थे.

उन्‍होंने बताया कि बैक्‍टीरिया के संक्रमण से मरने वालों की संख्‍या आमतौर पर एड्स या मलेरिया जैसी बीमारियों होने वाली मौतों के मुकाबले ज्‍यादा थी. बैक्‍टीरिया की इस स्थिति को मेडिकल क्षेत्र में एंटी माइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस कहा जाता है. यह स्थिति तब आती है जब कोई बैक्‍टीरिया, फंगस, वायरस या पैरासाइट बग या सुपर बग बनने लगता है, वह समय समय पर अपना रूप बदलने लगता है और दवाएं उसके खिलाफ काम न‍हीं करती हैं. यह स्थिति काफी खतरनाक होती है क्‍योंकि इस स्थिति में बीमारी का इलाज नहीं हो पाता है और मरीज की मौत हो जाती है.

ट्रामा सेंटर की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 90 फीसदी हेल्‍थकेयर एसोसिएटेड इन्‍फेक्‍शन जिनमें कि बैक्‍टीरियल इन्‍फेक्‍शन सबसे ज्यादा होते हैं डिवाइस एसोसिएटेड ब्‍लडस्‍ट्रीम इन्‍फेक्‍शन, यूरिनरी ट्रेक्‍ट इन्‍फेक्‍शन, वेंटीलेटर एसोसिएटेड निमोनिया और सर्जिकल साइट इन्‍फेक्‍शन होते हैं.

बता दें कि एम्‍स के जेपीएनए ट्रामा सेंटर ने पहली बार एचएआई का सिस्‍टेमेटिक सर्विलांस शुरू किया है. इसको लेकर बड़े स्‍तर पर सभी एम्‍स, जिला अस्‍पतालों, मेडिकल कॉलेजों, आईसीएमआर के साथ मिलकर इन्‍फेक्‍शन कंट्रोल के लिए सर्विलांस आधारित डेटा जुटाकर स्‍टडी की जा रही है. ताकि बैक्‍टीरिया के लिए नई एंटीबायोटिक दवाएं बनाई जा सकें.