E-Cigarette: मॉडर्न ट्रेंड या छुपा ज़हर? जानिए वेपिंग के खतरनाक सच

युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही ई-सिगरेट की लत, जो दिखने में कूल लेकिन अंदर से बेहद नुकसानदायक है। जानिए क्या है इसमें छुपा खतरा और यह आपके शरीर को कैसे नुकसान पहुंचाती है।

E-Cigarette: मॉडर्न ट्रेंड या छुपा ज़हर? जानिए वेपिंग के खतरनाक सच

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में लोगों के शौक और लाइफस्टाइल लगातार बदल रहे हैं। बीड़ी और सिगरेट की जगह अब युवाओं में ‘ई-सिगरेट’ या ‘वेपिंग’ का चलन बढ़ गया है। लोग इसे पारंपरिक सिगरेट से सुरक्षित मानते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और है। विशेषज्ञों के अनुसार, ई-सिगरेट में मौजूद रासायनिक तत्व और निकोटीन धीरे-धीरे शरीर के अंदर गंभीर बीमारियों की जड़ बन सकते हैं।

क्या है ई-सिगरेट?

ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक ऐसी डिवाइस है जिसमें तंबाकू नहीं होता, बल्कि इसमें निकोटीन युक्त लिक्विड, फ्लेवर और केमिकल्स का मिश्रण भरा जाता है। यह मिश्रण एक छोटे टैंक या पॉड में रहता है जिसे डिवाइस गर्म करती है और भाप के रूप में बदल देती है। यही भाप उपयोगकर्ता इनहेल करता है, जिसे आमतौर पर ‘वेपिंग’ कहा जाता है।

ई-सिगरेट के प्रकार:

1. पेन स्टाइल ई-सिगरेट: दिखने में लंबी और रिफिल करने योग्य।

2. यूएसबी स्टिक मॉडल: छोटे आकार की, जिसे आसानी से जेब में रखा जा सकता है।

3. पॉड-बेस्ड सिस्टम: पहले से भरे हुए या रिफिल किए जाने वाले पॉड्स के साथ आने वाली आधुनिक डिवाइसें।

कैसे काम करती है ई-सिगरेट?

इस डिवाइस में एक हीटिंग कॉयल होती है जो लिक्विड को गर्म करती है। गर्म होने पर यह लिक्विड निकोटीन मिश्रित वाष्प (भाप) में बदल जाता है। उपयोगकर्ता जब इसे सांस के जरिए अंदर लेता है, तो निकोटीन सीधे फेफड़ों के जरिए रक्त प्रवाह में पहुंच जाता है — और यही लत की शुरुआत होती है।

क्या ई-सिगरेट सामान्य सिगरेट से सुरक्षित है?

शुरुआती दौर में इसे सिगरेट का “सेफ विकल्प” माना गया, क्योंकि इसमें धुआं या टार नहीं बनता। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन दोनों ने यह स्पष्ट किया है कि ई-सिगरेट पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।

इसमें मौजूद निकोटीन, फॉर्मलडिहाइड, अक्रोलीन जैसे रसायन फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क पर बुरा असर डालते हैं।

ई-सिगरेट से होने वाले संभावित नुकसान:

निकोटीन की लत: धीरे-धीरे दिमाग निकोटीन पर निर्भर हो जाता है।

फेफड़ों की बीमारी: ई-सिगरेट से जुड़ी कई गंभीर फेफड़ों की बीमारियों के मामले सामने आए हैं।

दिल की समस्या: निकोटीन दिल की धड़कन बढ़ाता है और ब्लड प्रेशर पर असर डालता है।

नर्वस सिस्टम पर प्रभाव: लंबे समय तक सेवन करने से तनाव, चिंता और नींद की समस्या हो सकती है।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

डॉक्टरों के अनुसार, ई-सिगरेट केवल धुएं को भाप में बदल देती है, लेकिन उसके अंदर मौजूद निकोटीन और केमिकल्स शरीर में उतना ही नुकसान पहुंचाते हैं जितना पारंपरिक सिगरेट करती है। खासकर युवाओं और किशोरों में यह लत तेज़ी से फैल रही है, जिससे भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य संकट खड़ा हो सकता है।

धूम्रपान से बचने के कुछ आसान उपाय:

ई-सिगरेट या किसी भी निकोटीन उत्पाद से दूरी बनाएं।

डॉक्टर या काउंसलर से सलाह लेकर स्मोकिंग छोड़ने की योजना बनाएं।

योग, ध्यान और एक्सरसाइज से तनाव कम करें।

स्वस्थ खान-पान और नियमित हेल्थ चेकअप को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।