शारदीय नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें कलश स्थापना का मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्र

15 अक्टूबर /यानी आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी. नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. इस दिन कलश स्थापना करने का भी विशेष महत्व माना जाता है.

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें कलश स्थापना का मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्र

Shardiya Navratri 2023, Mata Shailputri Puja: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज यानी 15 अक्टूबर से हो चुकी है. इस बार अष्टमी 22 अक्टूबर को और नवमी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी. नवरात्रि के 9 दिन हिंदू धर्म में विशेष माने जाते हैं और इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है, क्योंकि उनके पिता पर्वतराज हिमालय हैं. गौरवर्ण वाली मां शैलपुत्री बैल पर सवार होती हैं. वे एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं. चंद्रमा उनके मस्तक की शोभा बढ़ाता है. प्रथम दिन कलश स्थापना का भी विशेष महत्व माना जाता है. नवरात्रि पर कलश स्थापना किए बिना पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. नवरात्रि की शुरुऐत कलश स्थापना के साथ ही होती है. इसे ही घटस्थापना भी कहते हैं. आज तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र के बारे में जान लेते हैं. साथ ही उनसे पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त भी जानेंगे.

इस मुहूर्त में करें कलश स्थापना

ज्योतिषाचार्य के अनुसार शारदीय नवरात्रि में इस बार घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है. कलश स्थापना के लिए 46 मिनट का वक्त मिलेगा. इस समय अभिजीत मुहूर्त है. अगर आप भी नवरात्रि में कलश की स्थापना करने वाले हैं और पूरे नौ दिन व्रत पर रहने वाले हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें. नवरात्रि का पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि कलश स्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर सभी भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. इससे भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

पहले दिन इन मंत्रों का करें जाप

मां शैलपुत्री का पूजा मंत्र
ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः

मां शैलपुत्री का प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

मां शैलपुत्री का बीज मंत्र
ह्रीं शिवायै नम:

यह है मां शैलपुत्री की पूजा विधि

नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं. मां शैलपुत्री की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नान-ध्यान कर लें. इसके बाद अपने पूजाघर की साफ-सफाई करें. फिर पूजाघर में एक चौकी स्थापित करें और उस पर गंगाजल छिड़क दें. इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर माता के सभी स्वरूपों को स्थापित करें. अब आप मां शैलपुत्री की वंदना करते हुए व्रत का संकल्प लें. माता रानी को अक्षत्, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, नैवेद्य आदि अर्पित करें. मनोकामना पूर्ति के लिए मां शैलपुत्री को कनेर पुष्प चढ़ाएं और उनको गाय के घी का भोग लगाएं. पूजा के दौरान मां शैलपुत्री के मंत्रों का उच्चारण करें. आखिरी में घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें. यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा का दोष है या चंद्रमा कमजोर है तो आप मां शैलपुत्री की पूजा जरूर करें. इससे आपको काफी लाभ होगा.

जान लें मां शैलपुत्री की आरती

शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

मां शैलपुत्री की जय…मां शैलपुत्री की जय…मां शैलपुत्री की जय!