प्रवासी पंछियों की पुकार: पर्यावरण की रक्षा में हमारी जिम्मेदारी
जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार और शहरीकरण से संकट में हैं प्रवासी पक्षी; 'पक्षी-अनुकूल' शहरों के निर्माण पर जोर

हर साल की तरह इस बार भी मई के दूसरे शनिवार को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस 2025 मनाया जा रहा है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रवासी पक्षी न सिर्फ जैव विविधता का हिस्सा हैं, बल्कि हमारे पर्यावरण के संतुलन में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इस वर्ष की थीम है – "मानव बस्तियों को पक्षी-अनुकूल बनाना", जो शहरी विस्तार के बीच पक्षियों के लिए सुरक्षित और सहयोगी वातावरण तैयार करने की अपील करती है।
भिलाई। पर्यावरण प्रेमी प्रशांत कुमार शिरसागर का कहना है कि प्रवासी पक्षी केवल सुंदरता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन के संरक्षक भी हैं। विश्व प्रवासी पक्षी दिवस यह संदेश देता है कि इन नाजुक मेहमानों की सुरक्षा हम सबकी साझा जिम्मेदारी है।
आज प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियाँ जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार, बढ़ते प्रदूषण और प्राकृतिक आवासों के विनाश की वजह से संकट में हैं। वे हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हैं, पर जब उनके ठहरने और भोजन के लिए जगहें ही खत्म हो रही हों, तो उनके अस्तित्व पर संकट मंडराता है।
2006 में शुरू हुआ यह अंतरराष्ट्रीय दिवस, मई और अक्टूबर महीने के दूसरे शनिवार को आधिकारिक रूप से मनाया जाता है। हालांकि, हर दिन पक्षियों के लिए कुछ करने का दिन हो सकता है।
2025 का विषय विशेष रूप से शहरी विकास की चुनौतियों पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य है कि शहरों और कस्बों को इस तरह विकसित किया जाए जिससे पक्षी सुरक्षित महसूस करें—जैसे देशी पेड़ लगाना, स्वच्छ जल स्रोत बनाना और रसायनों के इस्तेमाल से परहेज करना।
"पक्षी-अनुकूल" स्थानों का मतलब है ऐसे वातावरण बनाना जहाँ पक्षी सुरक्षित महसूस करें, विश्राम करें, घोंसला बनाएं और भोजन पा सकें। यह न केवल पक्षियों की मदद करता है बल्कि हमारे समुदायों को भी अधिक सुंदर और स्वस्थ बनाता है।
इस अभियान में स्थानीय सरकारें, व्यवसाय, स्कूल, पर्यावरण संगठन और आम नागरिक—सभी को भागीदार बनना होगा। पक्षी हमारे आसमान की खूबसूरती ही नहीं, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की नींव भी हैं।