इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग तकनीक से बच्चों को मिलेगा कौशल, सोचने की नई दिशा
ट्रिपल आईई की भिलाई बैठक में शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में तकनीक के उपयोग पर सहमति, बच्चों की बौद्धिक गुणवत्ता निखारने की रणनीति बनी

इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (ट्रिपल आईई) के भिलाई चैप्टर की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग की तकनीकों का उपयोग अब बच्चों की बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करने और उन्हें जीवन के प्रारंभिक चरण से ही समस्याओं के समाधान में दक्ष बनाने के लिए किया जाएगा। बैठक में संस्थान की आगामी योजनाओं और सामाजिक दायित्वों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
भिलाई। इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (ट्रिपल आईई) भिलाई चैप्टर की एक महत्वपूर्ण बैठक स्थानीय निवास कॉफी हाउस में आयोजित की गई। बैठक में औद्योगिक तकनीक के विस्तार को सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्रों से जोड़ते हुए, बच्चों को कौशलयुक्त और समस्या-समाधान में दक्ष बनाने के लिए उपयोग करने की रणनीति पर सहमति बनी।
बैठक की अध्यक्षता भिलाई स्टील प्लांट के पूर्व महाप्रबंधक और चैप्टर के पूर्व चेयरमैन एच. के. देसाई ने की। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग आज न केवल उत्पादन और लागत नियंत्रण का माध्यम है, बल्कि यह मानव संसाधन के बेहतर उपयोग और सामाजिक संरचना में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता भी रखती है।
वाइस चेयरमैन घनश्याम कुमार देवांगन ने सुझाव दिया कि इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग तकनीक का उपयोग सामाजिक और सामुदायिक कार्यों में किया जाए। उन्होंने इसे घरेलू जीवन, कृषि, व्यापार और शिक्षा में भी उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि तकनीक के जरिये बच्चों की सोचने की क्षमता, नया विचार उत्पन्न करने की शक्ति और व्यवस्थित जीवनशैली को बचपन से ही विकसित किया जा सकता है।
बैठक में नागेश्वर राव ने बताया कि वे इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग पर एक शोधपत्र तैयार कर रहे हैं, जो इस क्षेत्र में नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है। इस अवसर पर पूर्व चेयरमैन एच. के. देसाई, वाइस चेयरमैन घनश्याम देवांगन, सचिव अवनीश दुबे, कोषाध्यक्ष विवेक गुप्ता, वरिष्ठ इंजीनियर कमलेश कुमार गुप्ता, बी.के. सराफ, संतोष अग्रवाल, वी.के. सिंह, नागेश्वर राव, देवेंद्र पाल सिंह बराड़ और कांतिलाल विश्वकर्मा सहित कई गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।