नए दर पर रजिस्ट्री को लेकर परेशान बीएसपी लीज धारक:कहा- किसी के पास इतनी रकम नहीं कि नए दर से शुल्क पटा सके

नए दर पर रजिस्ट्री को लेकर परेशान बीएसपी लीज धारक:कहा- किसी के पास इतनी रकम नहीं कि नए दर से शुल्क पटा सके

भिलाई टाउनशिप में रह रहे 20 हजार से अधिक लीज धारकों की रातों की नींद उड़ी हुई है। वो इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनके मकान की रजिस्ट्री और नियमितीकरण पुराने दर पर होगी या फिर नए दर पर। लीज धारकों का कहना है उन्हें बीएसपी से रिटायर हुए 20-25 साल हो गए। जो फंड बीएसपी से मिला था उसमें से कुछ हाउस लीज में दे दिया। बाकी फंड शादी और अन्य चीजों में खर्च हो गया। अब उनके पास इतनी भी पूंजी नहीं है कि वो पुराने दर पर रजिस्ट्री करा सकें। अगर इस नए दर पर लागू किया गया तो ज्यादातर लोग रजिस्ट्री ही नहीं करा पाएंगे।

टाउनशिप में रहने वाले लीज धारक आरएन विद्यार्थी ने बताया कि हाऊसलीज योजना 2001 से 2003 तक लागू थी। इस दौरान 4,500 आवास 30 साल के लीज पर दिए गए। लोगों को लीज लिए हुए 20 से 22 साल हो चुके हैं। इतने साल बाद अब बीएसपी प्रबंधन पंजीयन कराने के लिए लीजधारकों को पत्र लिख रहा है। इन 22 साल के दौरान लीज धारकों का पूरा फंड खर्च हो चुका है।

उनके पास रजिस्ट्री और नियमितीकरण के नाम पर लगने वाली मोटी रकम नहीं है। इससे वे और उनका परिवार तनाव में है कि वो इतनी बड़ी रकम का इंतजाम कहां से कर पाएंगे। कहीं उनका लीज पर लिया घर भी उनके हाथ से तो नहीं चला जाएगा। इससे उनकी रातों की नींद उड़ी है। इन्हीं मुद्दों को लेकर कुछ दिन पहले सभी लीज धारकों, ओए और बीएसपी प्रबंधन के बीच बैठक हुई थी।

बीएसपी ने अपने जितने भी मकान लीज पर दिए थे उनका निर्माण क्षेत्र काफी कम था। काफी जमीन गार्डन पार्किंग व आंगन के नाम पर छोड़ी गई थी। अधिकतर लोगों ने लीज लेने के बाद उस खाली जमीन पर निर्माण करके बीएसपी के मकान को बंगलो का रूप दे दिया। अब इन लोगों को निगम से नियमितीकरणा कराना अनिवार्य हो गया है। निगम ने इसके लिए शिविर भी लगाया था, जिसे बीएसपी ने खारिज कर दिया था।
नियमितीकरण की सुगबुगाहट
लीजधारियों के बीच अब फिर एक बार पंजीयन के साथ-साथ नियमितीकरण का मामला सामने आकर खड़ा हो गया है। पंजीयन के दौरान मकान पुरानी स्थिति में है या अतिरिक्त निर्माण किए हैं। यह भी देखा जाएगा। इसके आधार पर ही पंजीयन व नियमितीकरण किया जाएगा। नियमितीकरण पर बीएसपी और निगम दोनों ही दावा कर रहे हैं। इस पर अभी दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई है।


रजिस्ट्री में यह होंगे शामिल
निगम से मिली जानकारी के मुताबिक जब लीज के मकान की रजिस्ट्री होगी तो उस समय लीज पर आवास लेने वाला (क्रेता), सेल-बीएसपी प्रबंधन जिसने लीज पर मकान दिया (विक्रेता) और जिला प्रशासन तीनों मौजूद रहेंगे। इसके बाद लीज डीड के पंजीयन का दस्तावेज लीजधारी के हाथ में आ जाएगा। सेल-बीएसपी जिस वक्त आवासों को लीज पर दे रहा था, तब न प्रबंधन ने रुचि लिया और न सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने रुचि लिया। इस वजह से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। ऐसा ही कुछ मामला हुडको सेक्टर में भी अटका था, जो कि आज तक चला आ रहा है।
छोटा मकान मिला था 1.5 लाख में
बीएसपी ने अपने कर्मियों को छोटे मकानों को 1.5 लाख रुपए में 30 साल के लिए लीज पर दिया था। तब के दर पर अगर पंजीयन किया जाता है, तो उसके लिए मात्र 16 हजार रुपए के आसपास शुल्क आएगा। यदि रजिस्ट्री नए दर पर की गई तो तो लीज धारक को इसके लिए लाखों में शुल्क पटाना होगा। इसी वजह है कि लीजधारियों व उनके परिवार के सदस्यों के रातों की नींद उड़ी है।