रेलवे की लांड्री:30 दिन में धुल रहे ट्रेनों के कंबल, धुलाई के लिए 12 की जगह दे रहे 3 घंटे, इसलिए आती है दुर्गंध

रेलवे की लांड्री:30 दिन में धुल रहे ट्रेनों के कंबल, धुलाई के लिए 12 की जगह दे रहे 3 घंटे, इसलिए आती है दुर्गंध

रायपुर मंडल से गुजरने वाली 10 ट्रेनों में उपलब्ध कराए जा रहे कंबल और चादरों में दुर्गंध की शिकायत है। चादरों के दाग-धब्बे भी धुलाई के बाद पूरी तरह से साफ नहीं हो रहे हैं। स्टेशन में यात्रियों की शिकायत सुनने का कोई सिस्टम नहीं है। इसका पता चलने के बाद भास्कर ने दुर्ग की लांड्री पहुंचकर कंबलों और चादरों के धुलाई के सिस्टम की पड़ताल की। पता चला रेलवे के पास ट्रेनों के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में न तो चादरें हैं और न ही कंबल। जरूरत 26 हजार चादरों की है लेकिन यहां केवल 13 हजार ही हैं।

लांड्री में कंबल का 600 का स्टॉक हमेशा होना चाहिए, लेकिन यहां केवल 275 ही हैं। कंबल केवल 3 घंटे और चादरें 12 घंटे का समय देकर धुलाई के लिए भेजी जा रही है। इस वजह से धुलाई के लिए ज्यादा टाइम नहीं मिल रहा और सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही। चादरों को 72 घंटे पहले लांड्री भेजने का नियम है यहां 24 घंटे का भी समय नहीं दिया जा रहा है। धुलाई के तुरंत बाद चादरों और कंबलों को प्रेस मशीन में सुखाकर ट्रेनों में भेज दिया जा रहा है। चादरें साफ धुली हैं या नहीं? ये जांचने का सिस्टम भी नहीं है। दुर्ग रेलवे स्टेशन का वाशिंग लाइन एरिया। कोच की धुलाई होने वाली जगह के करीब ही एक बड़ा हॉल। ये रेलवे की लांड्री है। दोपहर के 12.30 बजे हैं। हाॅल के एक हिस्से में अत्याधुनिक 6 बड़ी वॉशिंग मशीनें चल रही हैं। उसमें से सफेद चादरें धुल कर बाहर आ रही हैं। महिला कर्मी उसे उठाकर प्रेस वाली जगह में बिछा रही है। चंद सेकेंड में चादर प्रेस हो रही हैं। वहां से हटाकर दूसरी महिला कर्मी उसे सलीके से लपेट रही है। हॉल के एक हिस्से में महिलाएं उसे कागज के पैकेट में पैक कर रही हैं। सबकुछ बेहद तेजी से और सिस्टम से हो रहा है, लेकिन ये चेक नहीं हो रहा कि चादर ठीक से धुली है या नहीं?

 लांड्री के कर्मचारी ने खुद बताया कि लांड्री में 26 हजार चादरों की जरूरत है। रेलवे सिर्फ 13 हजार चादर ही दे रहा है। उसे ही धोकर काम चलाया जा रहा है। ये चादरें भी गाड़ी आने के बाद मिलती हैं। तुरंत उसकी धुलाई करनी पड़ती है। इसी कारण कभी-कभी चादर के दाग नहीं छूट पाते हैं।

35 करोड़ का ठेका, 16 रुपए में 2 चादरें, तकिया गिलाफ और तौलिया

रेलवे ने 35 करोड़ में लांड्री का ठेका 10 साल के लिए दिया है। 16 रुपए में 2 चादरें, तकिया गिलाफ और तौलिया धोकर देना है। एक कंबल के लिए 10 रुपए तय है। इसी हिसाब से ठेकेदार को पेमेंट किया गया है, लेकिन जब जरूरत के हिसाब से न चादरें हैं न कंबल। यानी ठेकेदार को सीधे तौर पर फायदा पहुंच रहा है। इसे भी कोई चेक नहीं कर रहा है।

मेरे नॉलेज में नहीं- डीआरएम

Q.एसी कोच की चादराें और कंबलों में दुर्गंध आती है? A.अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं आई। Q.चादर-कंबल का स्टॉक कम, इसलिए ऐसा हो रहा? A.मेरे नॉलेज में ये बात अब तक नहीं आई है। Q.कंबल की धुलाई के लिए 3 घंटे ही मिलते हैं, ऐसा क्यों? A.रेलवे में हर काम बंटा हुआ है, इसकी जानकारी लेकर बता सकूंगा।