कूलर में ज्यादा देर तक रहते हैं तो सतर्क हो जाएं, कई बीमारियों के बढ़ने का है खतरा, उमस में ज्यादा नुकसान
गर्मी में कई घरों में कूलर चलाया जाता है. कूलर से पानी की छींटों के साथ तेज हवा निकलती है जिससे तत्काल ठंडक पहुंचती है. लेकिन इससे शरीर को कई नुकसान भी है.

Cooler Side Effects: गर्मी के दिनों में कूलर का सहारा लेना आम बात है. कूलर हवा को तेज गति से फेंकती है. इसमें पानी के छीटों को भी हवा के साथ फेंके जाते हैं जिसके कारण हवा तेज लगती है और पानी के कारण ठंडक भी महसूस होती है. तात्कालिक रूप से देखें तो तेज हवा निकलने के कारण यह पंखों की तुलना में ठंडक ज्यादा पहुंचाता है लेकिन हमेशा कूलर की हवा में रहना कई तरह से नुकसानदेह भी है. पहला-कूलर से आवाज बहुत निकलती है जो मूड में खींझ पैदा कर सकता है. वहीं कूलर पानी को एक तरह वाटर वेपर यानी वाष्प के रूप में निकालता है. ऐसे में जब आसपास के मौसम में बहुत नमी या ह्यूमिडिटी होती है तो यह उस नमी में मिलकर और ज्यादा नमी बना देता है जिसके कारण बहुत ज्यादा उमस बनने लगता है. इसके अलावा कूलर का लगातार इस्तेमाल कई बीमारियों को बढ़ा सकता है.
कूलर में ज्यादा रहने के नुकसान
1.उमस में फेल-होमपार्टिकल की वेबसाइट के मुताबिक सबसे पहले कूलर उमस वाले मौसम में काम नहीं आता है. उल्टा यह उमस को आसपास और बढ़ा देता है. चूंकि उमस तब होती है जब हवा पानी का वाष्प ज्यादा मिला रहता है. इसमें कूलर की हवा ठीक यही काम करती है. हवा में पानी को फेंकती है. यह दोनों मिलकर आसपास हवा में नमी को बढ़ा देती है जिससे उमस और बढ़ जाती है.
2.डेंगू-मलेरिया का खतरा-सरकार की ओर से हमेशा सलाह दी जाती है कि कूलर का पानी अक्सर बदलते रहे. इसके पीछे यही वजह रहती है. कूलर में मौजूद वाटर टैंक में पानी ठहर जाता है. ठहरे हुए पानी में मलेरिया और डेंगू के लार्वा के पनपने की आशंका ज्यादा रहती है. जब कूलर चलता है तब ये लार्वा हवा के साथ पूरे घर में फैल जाते हैं और वृद्धि कर मलेरिया और डेंगू के मच्छर बन जाते हैं. इस तरह यह डेंगू और मलेरिया का कारण बन सकता है.
3.अस्थमा मरीजों को दिक्कत-जो लोग अस्थमा से पीड़ित हैं उनके लिए कूलर अस्थमा की परेशानी को बढ़ा सकता है. अस्थमा मरीजों को ऐसी हवा चाहिए जो न तो ज्यादा आद्र हो न ही ज्यादा गर्म हो. लेकिन कूलर से निकली हवा बहुत ज्यादा आद्र होती है, इसलिए अस्थमा की समस्या को बढ़ा सकती है. हालांकि कूलर से किसी को अस्थमा नहीं होता.
4.बंद कमरे में नाकाम-जिस कमरे में वेंटीलेशन न हो, वहां कूलर काम नहीं करता है. दरअसल, कूलर से निकला वाटर वेपर रूम में ही बना रहता है जिसके कारण रूम में ह्यूमिडिटी और बढ़ जाती है. इसलिए कूलर खुले घर में या बरामदे पर ज्यादा काम करता है.
5. मांसपेशियों में खिंचाव-कूलर में ज्यादा देर तक रहने से मांसपेशियों में तनाव होने लगता है. मसल्स में खिंचाव होने के कारण थकान बढ़ जाती है और इससे आलस भी होने लगता है. इसलिए ज्यादा देर तक कूलर में न रहें.
कैसे करें सुधार
कूलर जब भी लगाएं बंद कमरे में न लगाएं. यदि घर में बच्चे पढ़ रहे हैं तो उस वक्त कूलर का इस्तेमाल न करें, ज्यादा शोर के कारण मूड स्विंग कर सकता है. वहीं कूलर को खुले वाले स्थान पर लगाना ज्यादा फायदेमंद है. कूलर में हर दिन पानी बदलते रहे.