भिलाई में भगवान परशुराम की प्रतिमा का अनावरण....खुर्सीपार में निकाली गई भव्य शोभायात्रा...

भिलाई में भगवान परशुराम की प्रतिमा का अनावरण....खुर्सीपार में निकाली गई भव्य शोभायात्रा...

खुर्सीपार परशुराम चौक पर भगवान परशुराम जी की विशालकाय प्रतिमा की स्थापना की गई। प्रतिमा का अनावरण पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने बटन दबाकर किया। इस दौरान ब्राह्मण समाज के कई पदाधिकारी और वरिष्ठ लोग मौजूद रहे। प्रतिमा अनावरण के मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडेय ने कहा कि आज अक्षय तृतीया है। आज के ही शुभ दिन पर भगवान श्री परशुराम जी का जन्म हुआ था। उन्होंने भगवान परशुराम की कथा का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि एक बार परशुराम जी के पिता ने उनकी माता की हत्या करने का आदेश दिया था। इस पर भगवान परशुराम ने अपनी माता की हत्या कर दी। 

ससे पसन्न होकर पिता ने उनसे कहा कि मांगों जो वरदान मांगना चाहते हो। इस पर परशुराम जी ने कहा कि आप मेरी माता को जिंदा कर दें। इस तरह भगवान परशुराम ने पितृ भक्ति और मातृ भक्ति दोनों का परिचय दिया। वे हमेशा ज्ञान की शक्ति के बारे में बात करते थे कि ज्ञान देना और ज्ञान लेना ही हमारा मूल धर्म है। ज्ञान की शक्ति प्राचीन काल में भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी जितनी आज है। 

उन्होंने ने कहा कि आज भी काम करने वालों का वर्गीकरण चार ही वर्ग में है। क्लास वन अफसर, क्लास टू अफसर, क्लास थ्री एम्पलाई और क्लास फोर एम्पलाई। इन चार के अलावा कोई वर्ग है क्या? चार ही वर्ग में आज सारे कार्यों का वर्गीकरण हुआ है। अपने यहां चार का तो बहुत महत्व है। उसमें जाएंगे तो चार धर्म हैं, चार वर्ण हैं, चार आश्रम हैं। ये चार हमारे तन, मन, बुद्धि, आत्मा हैं, चार हमारे कर्तव्य हैं। प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि ज्ञान की शक्ति को कभी भी कहीं कोई नकार नहीं सकता। दुनिया में तमाम अंगों का प्रत्यारोपण हो रहा है, लेकिन आज तक कहीं भी बुद्धि का प्रत्यारोपण नहीं हुआ।  उन्होंने ब्राह्मण के बारे में बताते हुए कहा कि ब्राह्मणत्व का मतलब है सत्य के लिए साहस रखना। ब्राह्मणत्व का मतलब वेद भी है। लोग आपके चरणों में ऐसे नहीं आते हैं, चरण में तब आते हैं जब आपका आचरण वैसा होगा।

हमारे पूर्वजों के चरणों में बड़े बड़े राजा भिक्षाटन करते थे। उनके चरणों में अपनी पगड़ी रखते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका आचरण ऐसा था। उनके पास ज्ञान की शक्ति थी। आज भी ज्ञान की शक्ति की महत्ता को कोई दुनिया में कम नहीं कर सकता। भगवान श्री परशुराम जी की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद परशुराम चौक से न्यू खुर्सीपार स्थित श्री परशुराम धाम तक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस शोभा यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इसके बाद सभी लोगों ने महाप्रसाद ग्रहण किया।