कुरकुरे स्नैक्स की क्रंच में छिपा जहर, बढ़ा सकते हैं BP से लेकर मोटापा तक

कुरकुरे स्नैक्स की क्रंच में छिपा जहर, बढ़ा सकते हैं BP से लेकर मोटापा तक

पैकेजिंग में चमकते-दमकते ये स्नैक्स भले ही देखने में लुभावने लगें, लेकिन इनकी हर क्रंच के साथ कई तरह के केमिकल्स और प्रिजर्वेटिव्स हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं।

कुरकुरे और चटपटे पैक्ड स्नैक्स भले ही मिनटों में भूख मिटा दें, लेकिन इनके साथ शरीर में ऐसे केमिकल्स और प्रिजर्वेटिव्स भी पहुंच जाते हैं, जिनका असर लंबे समय तक बना रहता है। स्वाद बढ़ाने वाले फ्लेवर, ज्यादा नमक, अनहेल्दी फैट और एडिटिव्स धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर, वजन और मेटाबॉलिज़्म को प्रभावित करने लगते हैं। कई बार इनका नुकसान तुरंत नहीं दिखता, लेकिन लगातार सेवन से BP से लेकर मोटापा तक बढ़ा सकती हैं। सुविधा के नाम पर खाए जाने वाले ये स्नैक्स कहीं धीरे-धीरे आपकी हेल्थ को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहे? यही जानना बेहद जरूरी है।

पैकेज्ड फूड से बढ़ने वाली बीमारियां

मोटापा: कैलोरी, रिफाइंड कार्ब्स और ट्रांस-फैट की मात्रा बढ़ने से वजन तेजी से बढ़ने लगता है।

डायबिटीज: बार-बार हाई शुगर और प्रोसेस्ड कार्ब्स लेने से इंसुलिन पर असर पड़ता है।

हाई ब्लड प्रेशर: अधिक नमक और सोडियम वाले स्नैक्स BP को बढ़ाते हैं।

हृदय रोग: अनहेल्दी फैट और ट्रांस-फैट खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ाकर हार्ट की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर: लंबे समय तक केमिकल्स और प्रिजर्वेटिव्स का सेवन इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है।

IBS और पाचन समस्याएं: आर्टिफिशियल कलर, फ्लेवर और प्रिजर्वेटिव्स आंतों को इरिटेट करते हैं।

शरीर में पहुंच जाते हैं ये खतरनाक केमिकल्स

ट्रांस फैट्स

पैकेज्ड फूड्स में ट्रांस फैट्स का उपयोग खाने की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाकर हार्ट डिजीज और मोटापे का कारण बन सकता है।

सोडियम

पैकेज्ड फूड्स में नमक स्वाद बढ़ाने और प्रिजर्वेशन के लिए डाला जाता है। इसकी अधिक मात्रा हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियों और किडनी की समस्या का कारण बन सकती है।

मोनोसोडियम ग्लूटामेट

स्वाद बढ़ाने वाला यह केमिकल अक्सर चिप्स, नूडल्स और नमकीन में पाया जाता है। इससे सिरदर्द, चक्कर और थकान की समस्या हो सकती है।

रिफाइंड शुगर

मीठे स्नैक्स और ड्रिंक्स में छिपी हुई अतिरिक्त चीनी मोटापा, डायबिटीज और मेटाबोलिज्म से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकती है।

प्रिजर्वेटिव्स

बेंजोएट्स, नाइट्रेट्स और सल्फाइट्स जैसे प्रिजर्वेटिव फूड को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए मिलाए जाते हैं, लेकिन इनसे एलर्जी, अस्थमा और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी हो सकता है।

आर्टिफिशियल फ्लेवर और कलर

स्नैक्स का स्वाद और रंग बढ़ाने के लिए मिलाए गए ये रसायन त्वचा की एलर्जी, ध्यान की कमी (ADHD) और बच्चों में व्यवहारिक समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।

हाइड्रोजेनेटेड ऑयल्स

हाइड्रोजेनेटेड ऑयल्स में ट्रांस फैट होता है जो वजन बढ़ाने और हार्ट डिजीज का प्रमुख कारण है।

मैदा

ज्यादातर स्नैक्स मैदे से बनते हैं, जो फाइबर रहित होता है और कब्ज, वजन बढ़ने और ब्लड शुगर लेवल में तेजी से बढ़ोतरी करता है।

एंटीकेकिंग एजेंट्स

ये पाउडर फॉर्म प्रोडक्ट्स जैसे इंस्टेंट मिक्स या सीजनिंग में मिलाए जाते हैं। इनमें कुछ एल्यूमिनियम आधारित यौगिक होते हैं जो न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बढ़ा सकते हैं।

BPA बेस्ड पैकिंग

प्लास्टिक पैकिंग में पाया जाने वाला BPA (Bisphenol A) हार्मोनल असंतुलन, बांझपन और कैंसर से जुड़ा हो सकता है।

पैक्ड स्नैक्स की जगह क्या खाएं? 

भुने हुए चने, जो प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं, तुरंत भूख मिटाने में मदद करते हैं।

मखाना (Fox Nuts) हल्का, क्रंची और हार्ट-फ्रेंडली होता है, यह चिप्स का एक बढ़िया विकल्प है।

सेब, केला, बेर, अनार जैसे फलों से बनी फ्रूट चाट भूख शांत करने के साथ भरपूर पोषण भी देती है।

स्प्राउट्स चाट, जिसमें नींबू और हल्के मसाले मिलाए जाते हैं, एक ताज़ा और प्रोटीन से भरपूर हेल्दी स्नैक है।

पीनट बटर के साथ होलग्रेन टोस्ट क्रीमी, प्रोटीन-रिच और पेट भरने वाला पौष्टिक विकल्प है।

दही में चिया, फ्लैक्स या कद्दू के बीज मिलाकर खाएं, यह हाई प्रोटीन, हाई फाइबर और गट-फ्रेंडली स्नैक बन जाता है।

ओट्स या सूजी का घर का बना चिल्ला भी एक पौष्टिक, हल्का और पेट भरने वाला विकल्प है।