पटवारी के बारे में कौन नहीं जानता है. इनका रुतबा, तो अलग होता ही है और जिन गांव या क्षेत्र के लिए प्रभारी होते हैं. वहां के राजस्व अधिकारी होते हैं, जो गांव की रिपोर्ट अपने तहसीलदार को देते हैं. पटवारी प्रशासनिक ढांचे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पटवारी भूमि का पूरा रिकॉर्ड रखते हैं. किसानों की जानकारी होती है. साथ ही जो जमीन को लेकर विवाद होते हैं. इनको सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अगर कोई पटवारी के रूप में भर्ती होता है, तो वह प्रमोशन पाकर नायब तहसीलदार तक की पोस्ट पर पहुंच सकता है.
पटवारी बनने के लिए अभ्यर्थी की उम्र 18 साल से लेकर 40 साल के बीच में होनी चाहिए. मध्य प्रदेश में एससी, एसटी और पीडब्ल्यूडी वालों को 5 साल के लिए अधिक छूट मिलती है, तो ओबीसी के लिए 3 साल की अधिक छूट दी गई है.
सागर के मकरोनिया में पिछले 7 साल से पटवारी के रूप में पदस्थ विनोद साहू बताते हैं कि अगर कोई अभ्यार्थी पटवारी के एग्जाम की तैयारी कर रहा है, तो उसे पिछले 10 साल की पेपर सॉल्व करना चाहिए. उसकी मॉक टेस्ट देना चाहिए. अगर कोई कठिनाई आ रही है, तो टीचर से संपर्क करें. इसके लिए कहीं वह कोचिंग भी कर सकता है.
पटवारी के सिलेबस में हिंदी इंग्लिश गणित कंप्यूटर सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर्स से जुड़े विषयों पर सवाल पूछे जाते हैं. करंट अफेयर्स पर पकड़ रखने के लिए आपको रोजाना दो-तीन अखबार अच्छे से पढ़ना चाहिए, जो पटवारी की परीक्षा आपकी आसान कर सकते हैं.
पटवारी की जॉइनिंग 2100 ग्रेड पे से होती है, जिनमें उनकी मासिक सैलरी 24000 से स्टार्ट होती है और फिर नौकरी बढ़ाने के साथ-साथ यह सैलरी भी बढ़ती जाती है. केंद्र सरकार के वेतनमान लगने का लाभ भी पटवारी को मिलता है. इसके अलावा कई तरह के भत्ता भी उन्हें दिए जाते हैं.
पटवारी विनोद साहू आगे बताते हैं कि पटवारी का एग्जाम भरने वाले अभ्यर्थी की ग्रेजुएशन कंप्लीट होनी चाहिए, जो किसी भी विषय से हो सकती है. इसके अलावा सीपीसीटी का कोर्स भी करना चाहिए. परीक्षा में पास होने के बाद अगर सीपीसीटी नहीं होता है, तो 2 साल का समय अभ्यर्थी के लिए इसे पास करने के लिए दिया जाता है. कंप्यूटर कोर्स का डिप्लोमा भी होना चाहिए.