IIT भिलाई और जर्मन यूनिवर्सिटी ऑफ सीजेन के बीच समझौता, सेंसर टेक्नोलॉजी पर बनेगा संयुक्त अनुसंधान केंद्र
भारत-जर्मनी सहयोग को मिला नया आयाम, IIT परिसर में स्थापित होगा 'ज्वाइंट सेंटर ऑन सेंसर्स', स्वास्थ्य, पर्यावरण और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में आएगा नवाचार

IIT भिलाई और जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ सीजेन ने उच्च शिक्षा और अनुसंधान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए ऐतिहासिक समझौता किया है। इस सहयोग से एक संयुक्त अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो आधुनिक सेंसर टेक्नोलॉजी पर केंद्रित होगा और वैश्विक औद्योगिक जरूरतों के अनुरूप इनोवेशन को बढ़ावा देगा।
भिलाई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) भिलाई और जर्मनी की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ सीजेन के बीच एक महत्वपूर्ण अकादमिक और अनुसंधान सहयोग की शुरुआत हुई है। दोनों संस्थानों ने "सेंसर टेक्नोलॉजी" विषय पर संयुक्त अनुसंधान और नवाचार के लिए "ज्वाइंट सेंटर ऑन सेंसर्स" की स्थापना पर सहमति जताते हुए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह विशेष केंद्र IIT भिलाई परिसर में स्थापित किया जाएगा और इसका संचालन दोनों संस्थानों की संयुक्त निगरानी में किया जाएगा। इसका उद्देश्य सेंसर टेक्नोलॉजी से जुड़े अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहन देना और छात्रों, शोधकर्ताओं को औद्योगिक तथा सामाजिक चुनौतियों के समाधान में भागीदार बनाना है।
इस अवसर पर भारतीय दूतावास, जर्मनी के डॉ. बनर्जी भी उपस्थित रहे। उन्होंने इस सहयोग को भारत-जर्मनी के बीच शैक्षणिक और तकनीकी आदान-प्रदान के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया।
IIT भिलाई के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश ने कहा कि यह साझेदारी अंतःविषयक अनुसंधान को नया आयाम देगी और सेंसर आधारित तकनीकों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरण संरक्षण और स्मार्ट सिटी जैसी पहल को वैज्ञानिक समर्थन मिलेगा।
समझौता ज्ञापन पर जर्मनी के सीजेन विश्वविद्यालय में औपचारिक रूप से हस्ताक्षर हुए, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते तकनीकी सहयोग और अकादमिक जुड़ाव का स्पष्ट संकेत है।
यह संयुक्त केंद्र वैश्विक ज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र (Global Knowledge Ecosystem) को समृद्ध करेगा और उद्योगों के लिए उपयोगी समाधान उत्पन्न करेगा। आने वाले समय में इस पहल से न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं को नया मंच मिलेगा, बल्कि भारत-जर्मनी संबंधों को भी नई मजबूती मिलेगी।