केवट नवागांव–गोडमर्रा–पसौद सड़क बदहाली की शिकार : 15 साल से इंतज़ार, अब हादसे का खतरा

केवट नवागांव–गोडमर्रा–पसौद सड़क बदहाली की शिकार : 15 साल से इंतज़ार, अब हादसे का खतरा

ग्रामीणों की मांग पर नहीं हुई सुनवाई, कांग्रेस-भाजपा की खींचतान में फंसा निर्माण, बरसात में गड्ढों से गुजर रहे बच्चे और किसान

 केवट नवागांव–गोडमर्रा–पसौद मार्ग की हालत पिछले कई सालों से बदतर बनी हुई है। ग्रामीण लगातार मरम्मत की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन केवल आश्वासन देते रहे। बरसात में सड़क गड्ढों में तब्दील होकर जानलेवा खतरे में बदल चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेदार मानो हादसे का इंतज़ार कर रहे हों।

बालोद/दुर्ग। केवट नवागांव–गोडमर्रा–पसौद मार्ग की जर्जर हालत ने अंचलवासियों की परेशानी बढ़ा दी है। सड़क की दुर्दशा देखकर हर कोई चिंतित है, लेकिन शासन-प्रशासन और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि अब तक चुप्पी साधे बैठे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं होती, तब तक कार्रवाई की उम्मीद करना बेमानी है।

ग्रामीणों का कहना है कि इस मार्ग की मरम्मत की मांग वे पिछले 15 वर्षों से कर रहे हैं। आंदोलन से लेकर जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों तक गुहार लगाई गई, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला।

पिछली भूपेश बघेल सरकार ने सड़क निर्माण की घोषणा की थी और प्रशासनिक प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी। लेकिन मामला निविदा प्रक्रिया में अटक गया और अब कांग्रेस-भाजपा की आपसी खींचतान में यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया है। जनता का कहना है कि राजनीतिक खेल का खामियाजा सीधे-सीधे ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

बरसात के मौसम में सड़क पूरी तरह गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। इस मार्ग से रोज़ाना स्कूली बच्चे, किसान और ग्रामीण गुजरते हैं, जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर उन्हें कब तक इंतजार करना होगा? क्या यह सड़क तभी बनेगी जब कोई गंभीर हादसा घटेगा, या फिर यह समस्या यूं ही राजनीति की भेंट चढ़ती रहेगी?  क्या चाहेंगे मैं इसका एक आक्रामक/प्रहारात्मक संस्करण भी बना दूँ, जो बिल्कुल संपादकीय अंदाज़ में नेताओं और प्रशासन पर सवाल उठाए?