US टैरिफ दबाव के बीच भारतीय इकोनॉमी चमकी, GDP छह तिमाही में सबसे तेज

NSO के आंकड़ों में दिखा ग्रामीण मांग, सरकारी खर्च और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का मजबूत योगदान; RBI के अनुमान से भी बेहतर रही ग्रोथ

US टैरिफ दबाव के बीच भारतीय इकोनॉमी चमकी, GDP छह तिमाही में सबसे तेज

वैश्विक अनिश्चितताओं, US टैरिफ दबाव और सुस्त प्राइवेट निवेश के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। जुलाई–सितंबर तिमाही में देश की GDP 8.2% की रफ्तार से बढ़ी, जो पिछले छह तिमाही में सबसे तेज ग्रोथ है। नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण उपभोग, सरकारी व्यय और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती ने अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा दिया है।

नई दिल्ली (ए)। वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर बढ़ते दबाव के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में बेहतरीन लचीलापन दिखाया है। NSO द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई से सितंबर के बीच GDP 8.2% बढ़ी है, जो पिछले साल इसी तिमाही की 5.6% की तुलना में काफी बेहतर है। यह वृद्धि अप्रैल–जून की 7.8% की दर को भी पीछे छोड़ती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण मांग में सुधार, सरकारी खर्च में तेजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूत रिकवरी ने GDP को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। GST दरों में कटौती का व्यापक असर अभी बाकी है, लेकिन शुरुआती संकेत बताते हैं कि आगे की तिमाहियों में भी ग्रोथ मजबूत रह सकती है।

RBI का अनुमान भी पीछे छूटा

रिजर्व बैंक ने अपनी अक्टूबर मौद्रिक नीति बैठक में FY26 की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% किया था। लेकिन दूसरी तिमाही का वास्तविक प्रदर्शन RBI के अनुमान से भी अधिक रहा है, जो आर्थिक गतिविधि में मजबूती का संकेत है।

GDP क्या है और कैसे मापी जाती है?

GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद, देश में तय समयावधि में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है। इसमें विदेशी कंपनियों द्वारा देश की सीमा के भीतर किया गया उत्पादन भी शामिल होता है। GDP दो प्रकार की होती है—

रियल GDP, जो स्थिर कीमतों (बेस ईयर 2011–12) पर आधारित होती है।

नॉमिनल GDP, जिसे मौजूदा बाजार कीमतों पर मापा जाता है।

GDP की गणना फार्मूले GDP = C + G + I + NX से होती है, जिसमें उपभोग, सरकारी खर्च, निवेश और नेट एक्सपोर्ट शामिल हैं।

चार इंजन जो अर्थव्यवस्था को चलाते हैं

घरेलू उपभोग – आम लोगों का खर्च GDP में सबसे बड़ा योगदान देता है।

प्राइवेट सेक्टर की गतिविधियां – आर्थिक वृद्धि में लगभग 32% हिस्सेदारी।

सरकारी व्यय – पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं पर होने वाला खर्च, जिसका योगदान करीब 11% है।

नेट एक्सपोर्ट – एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट के अंतर से तय होता है, और भारत में आयात अधिक होने से यह हिस्सा अक्सर नकारात्मक रहता है।

तेजी से बढ़ती GDP ने साफ कर दिया है कि भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेज बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में है, और आने वाले महीनों में ग्रोथ की यह रफ्तार और भी मजबूत हो सकती है।