चोरों के महादेव नाम से प्रसिद्ध है यह मंदिर, कभी लूटे गए पैसों का होता था यहां बंटवारा

पटना सिटी के गुलजारबाग से पटना साहिब रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क पर रेल लाइन के ठीक बगल में 'चोरवा मंदिर' स्थित है. इस नाम के पीछे की वजह भी काफी रोचक है. असल में कागज पर इस मंदिर का नाम कन्या मंदिर है, पर क्षेत्र विशेष में ये चोरवा महादेव मंदिर के नाम से प्रचलित है.

चोरों के महादेव नाम से प्रसिद्ध है यह मंदिर, कभी लूटे गए पैसों का होता था यहां बंटवारा

पटना. शिवमय होकर अपना जीवन व्यतीत करना ही शिवभक्तों का परम लक्ष्य होता है. पर शिव का भक्त बनने वालों में राम भी आते हैं और रावण भी. रावण को लेकर तो कुछ लोग ये भी तर्क देते हैं कि शिवभक्त बनने के लिए अच्छे कर्मों की कोई बाध्यता ही नहीं है. युगों-युगों से ऐसी मान्यता चली रही है कि कोई भी शिव का दास बन सकता है.ऐसा हम क्यों कह रहे हैं? क्योंकि, इस खबर में हम जिस मंदिर का जिक्र कर रहें हैं, वो कभी इलाके के दुर्दांत अपराधियों का अड्डा हुआ करता था. जी हां, पटना सिटी रेलवे स्टेशन से गुलजारबाग स्टेशन की और जाने वाले सुदर्शन पथ पर ही यह मंदिर स्थित है. इसकी चहारदीवारी से रेलवे लाइन की बाउंड्री वॉल भी सटी हुई है.

कन्या मंदिर है असली नाम

मंदिर के पुजारी रविशंकर मिश्रा बताते हैं कि चार पुश्तों से वे इस मंदिर में सेवा कर रहें हैं. उनके पिताजी स्वर्गीय ईश्वरी मिश्रा ने तो बचपन से ही इस मंदिर में सेवा दी थी. वहीं, पुजारी रविशंकर मिश्रा भी 1980 से अभी तक इस मंदिर में अपनी सेवा दे रहे हैं. वे बताते हैं कि मंदिर के कागजातों पर इस मंदिर का नाम कन्या मंदिर लिखा हुआ है. पर क्षेत्र के स्थानीय लोगों के बीच यह मंदिर चोरवा महादेव मंदिर के नाम से ही विख्यात है.

इसलिए पड़ा चोरवा मंदिर नाम

पटना सिटी के ही स्थानीय युवा सुभाष कुमार बताते हैं कि पहले के समय में जब शहर की जनसंख्या काफी कम हुआ करती थी, उस समय इधर घना जंगल हुआ करता था. रेलवे लाईन से सटे होने के कारण यहां चोर-उचक्के भी कभी-कभी बैठा करते थे. सुभाष की माने तो चोर अक्सर हिस्सा बांटने का काम भी इसी मंदिर व इसके आसपास के क्षेत्र में करते थे. इसलिए इसका नाम चोरवा मंदिर के रूप में फेमस हो गया.