छत्तीसगढ़ में भव्य मेला का आयोजन, कलचुरी शासनकाल से जुड़ा इसका इतिहास, जानें
खारुन नदी के तट पर बने हटकेश्वर नाथ महादेव के इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना साल भर होती है. लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां पर लोगों की विशेष चहल पहल रहती है.

छत्तीसगढ़ हमेशा लोक कला और संस्कृति के नाम से जानी जाती है. यहां की प्राचीन परंपरा आज भी बरकरार है. इसकी झलक इन दिनों राजधानी रायपुर के खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव घाट में दिखाई दे रही है. दरअसल, रायपुर में खारुन नदी के तट पर भव्य मेले का आयोजन किया गया है, जो कि पुन्नी मेला 29 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा. खारुन नदी के तट को लोग महादेव घाट के नाम से भी जानते हैं. इस नदी के तट पर प्राचीन हटकेश्वरनाथ शिवमंदिर है, जहां के शिवलिंग स्वयंभू माने जाते हैं. हर साल कार्तिक पूर्णिमा में इस जगह पर मेला लगता है.
तीन दिवसीय आयोजित हो रहे इस मेले का शुभारंभ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हो गया था. पहले दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु खारुन नदी में स्नान करने के साथ ही हटकेश्वरनाथ का दर्शन करने पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालु यहां लगने वाले पारंपरिक मेले का आनंद भी लिया. आपको बता दें कि कलचुरी शासनकाल में राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद सन 1928 में इस मंदिर का निर्माण कराया था. पुत्र रत्न प्राप्ति के बाद मेला आयोजन कर खुशी जताया था. तब से मेला का आयोजन लगातार हो रहा है.
झूले और मनोरंजन के साधन
खारुन नदी के तट पर बने हटकेश्वर नाथ महादेव के इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना साल भर होती है. लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां पर लोगों की विशेष चहल पहल रहती है. प्रतिदिन मेले में हजारों की संख्या में लोग मेले का लुफ्त उठाने आते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना और मनोरथ पूरी होती है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा के मेले में लगभग 500 दुकानें लगी हैं, साथ ही मीना बाजार भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जिसमें बच्चों के लिए तरह-तरह के झूले और मनोरंजन के साधन हैं.