जहां-जहां मिली हार, वहां जिलाध्यक्ष बदलेगी छत्तीसगढ़ कांग्रेस....नई टीम के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी...

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही लगातार कांग्रेस संगठन में बदलाव की चर्चा जोरों पर है। लोकसभा चुनाव से पहले बदलाव की एक्सरसाइज कर ली जाएगी, ताकि नई ऊर्जा और नई टीम के साथ लोकसभा का चुनाव लड़ा जाए। प्रदेश के ज्यादातर जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। जिन-जिन जिलों में कांग्रेस हारी है, वहां के जिलाध्यक्षों का बदला जाना तय है। ऐसे 12 से ज्यादा जिले हैं। इसके साथ ही संगठन में खाली पदों पर नियुक्ति भी होगी।
संगठन के फोकस पर वे जिले हैं जहां पार्टी को उम्मीद के उलट नतीजे मिले। ऐसे में रायपुर शहर-ग्रामीण, दुर्ग, कवर्धा, बलौदाबाजार, महासमुंद, बलरामपुर, कोरिया, सरगुजा, रामानुजगंज, बैकुंठपुर, कोरबा, सक्ती, राजनादगांव ग्रामीण और बिलासपुर समेत ज्यादातर जिलों के अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। इन जिलों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।
चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी नए सिरे से इसकी समीक्षा कर रही है, कि किन जिलों में पार्टी को भारी नुकसान हुआ। वहां पर जिला अध्यक्षों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। यहां संगठन के स्थानीय विधायकों से समन्वय और बाकी मामलों की समीक्षा की जा रही है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर दीपक बैज की नियुक्ति चुनाव के चार महीने पहले हुई थी। इससे पहले PCC की कमान मोहन मरकाम के हाथों में थी। उन्होंने संगठन में अपने अनुसार जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। नए अध्यक्ष के आने के बाद जगदलपुर और एक-दो जगहों के जिला अध्यक्षों को बदला गया।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन में बदलाव को लेकर PCC चीफ दीपक बैज ने करीब एक महीने पहले ही कहा था, कि हम संगठन में बदलाव करेंगे। नई ऊर्जा, नई रणनीति के साथ कार्यकर्ताओं में जान फूंकेंगे। लोकसभा का चुनाव पूरी दमदारी से लड़ेंगे। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सभी नेता PCC के प्रस्ताव का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश स्तर पर प्रस्ताव भेजे जाने के बाद ही नियुक्तियां शुरू होंगी। हालांकि दावेदारों ने छत्तीसगढ़ के सीनियर नेताओं से लेकर दिल्ली तक अपनी दौड़ शुरू कर दी है।छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश कांग्रेस में अंतर्कलह उफान पर है, ऐसे में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को खड़ा करना बड़ी चुनौती है।